बजट में Sea Food Export बढ़ाने की हुई घोषणा, एक्सपर्ट बोले करने होंगे ये छह काम

बजट में Sea Food Export बढ़ाने की हुई घोषणा, एक्सपर्ट बोले करने होंगे ये छह काम

सीफूड एक्सपर्ट का कहना है कि आज हमारे देश में फिश सेक्ट र से जुड़े लोग इतने सक्षम हैं कि थोड़े से ही वक्त  में प्रोडक्शन को डबल कर सकते हैं. लेकिन उनके सामने परेशानी ये है कि वो अपने प्रोडक्ट को बेचेंगे कहां.

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Feb 04, 2024,
  • Updated Feb 04, 2024, 1:59 PM IST

एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दुनिया के 129 देश इंडियन फिश और झींगा का स्वाद चखते हैं. अमेरिका इंडियन सीफूड का एक बड़ा खरीदार है. यही वजह है कि सीफूड एक्स पोर्ट लगातार बढ़ रहा है. बीते नौ साल में सीफूड एक्सडपोर्ट 30 हजार करोड़ से 64 हजार करोड़ पर पहुंचकर डबल हो चुका है. इसमे बड़ा नंबर झींगा का है. इसी को देखते हुए हाल ही में बजट पेश करने के दौरान केन्द्र सरकार ने घोषणा की है कि हम एक्सपोर्ट को एक लाख करोड़ के पार ले जाएंगे. 

एक्सपर्ट का कहना है कि आज संसाधनों और तकनीक को देखते हुए सीफूड एक्सपोर्ट को डबल करना कोई मुश्किल काम नहीं है. इसके लिए हमे कुछ खास काम करने होंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि हम डबल प्रोडक्शन के लिए बाजार कहां से लाएंगे. क्योंकि आज हमारे पास माल है लेकिन नए बाजार नहीं हैं. 

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झींगा एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे डबल होगा एक्सपोर्ट 

झींगा एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि साल 2022-23 में 63960 करोड़ रुपये का सीफूड एक्सपोर्ट हुआ था. इसमे से अकेले 43135 हजार करोड़ रुपये का सिर्फ झींगा था. ऐसे में जब सरकार सीफूड एक्स‍पोर्ट डबल करने की बात कर रही है तो हमे झींगा को भी डबल करना होगा. अभी देश में 1.5 लाख हेक्टेयर जमीन पर बने तालाबों में नौ लाख टन के करीब झींगा उत्पादन हो रहा है. अगर झींगा डबल करना है तो 1.5 लाख हेक्टेयर जमीन की और जरूरत होगी, साथ ही ऐसी तकनीक इस्तेमाल करनी होंगी जिससे प्रति हेक्टेयर पांच टन झींगा उत्पादन को सात से 7.5 टन तक किया जा सके. 

उत्पादन बढ़ाने को करने होंगे ये खास काम भी 

डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि जहां खारा पानी है वहां सरकार को नेशनल मास्टर मैपिंग करके जमीन का आवंटन करना चाहिए. देश में झींगा को स्टेट पॉलिसी से निकालकर उसके लिए नेशनल पॉलिसी बनानी होगी. टैक्स और पॉवर टैरिफ के लिए देशभर में एक समान पॉलिसी बनानी होगी. और सबसे बड़ी बात ये कि इंटरनेशनल लेवल पर और देश में झींगा के लिए बाजार तलाशने होंगे. अभी तक चीन और अमेरिका को ही झींगा बेचने के लिए पीछे पड़े रहते हैं. जबकि दो सौ और भी देश हैं, अगर उसमे से कुछ देशों को ही हमने पांच-पांच, 10-10 हजार टन झींगा भी बेच लिया तो उत्पादन को खपाने की परेशानी ही खत्म हो जाएगी. 

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अगर झींगा खरीदने वाले हमारी बाजार की मजबूरी को देखते हुए कभी आंख ना दिखाएं तो हमे घरेलू स्तर पर भी बाजार तैयार करना होगा. हमारे देश में करीब 75 फीसद लोग नॉनवेज खाते हैं. अगर वो साल में एक से डेढ़ किलो झींगा भी खा लेते हैं तो हमारे ऊपर कभी भी इंटरनेशनल मार्केट का प्रेशर नहीं रहेगा.   

 

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