हमारे देश में ज्यादातर लोग दुधारू पशु पालकर डेयरी फार्मिंग से जुड़ने लगे हैं. डेयरी फार्मिंग करने वाले अधिकांश लोग अच्छी-खासी कमाई भी कर रहे हैं. आप भी डेयरी बिजनेस से जुड़कर लाभ कमाना चाहते हैं तो पशुओं को स्वस्थ रखना सबसे ज्यादा जरूरी है. स्वस्थ और चंचल स्वभाव वाले पशु ही डेयरी के लिए अच्छे माने जाते हैं. इन दिनों पशुओं में थनैला रोग तेजी से फैल रहा है जिसके कारण डेयरी फार्मर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. आइए जान लेते हैं कि पशुओं को थनैला रोग से कैसे बचाएं.
कुछ पशुपालक हमेशा से पशुओं में होने वाली बीमारियों को नजरंदाज कर देते हैं. आपको बता दें कि इस गलती की वजह से आपका पूरा व्यापार प्रभावित हो सकता है. आपको बता दें कि दुधारू पशुओं में होने वाला थनैला रोग बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो सकता है. थनैला रोग होने से पशुओं के थन में गांठ या सूजन हो सकता है जिसके कारण उसे छूने में असहनीय दर्द होता है. पशुओं के थन से, लालिमा, गर्मी खून और मवाद आने लगता है जिससे दूध की गुणवत्ता भी बहुत खराब हो सकती है. इससे दूध का व्यवसाय करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लग सकता है.
थनैला रोग, जिसे मास्टिटिस भी कहा जाता है, एक आम बीमारी है जो गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं में थन और स्तन ग्रंथि में होता है. आपको बता दें कि थनैला मुख्य रूप से बैक्टीरिया के संक्रमण के चलते होता है,
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लेकिन कवक, वायरस और माइकोप्लाज्मा जैसे अन्य रोगाणु भी थनैला बीमारी फैला सकते हैं जिससे पशुओं को काफी दिक्कतें हो सकती हैं.
थनैला रोग से होने वाले नुकसान जानने के बाद ये भी जान लेते हैं कि इससे बचाव के लिए क्या उपाय किया जा सकता है. थनैला रोग से बचाव के लिए साफ-सफाई सबसे अधिक जरूरी है. जिस स्थान में पशुओं को बांध रहे हैं उसकी नियमित साफ-सफाई बहुत जरूरी है. दूध दुहने की तकनीक सही होनी चाहिए जिससे थन को किसी प्रकार की चोट न पहुंचे और ना ही अधिक दबाव पड़ना चाहिए. पशुओं को दुहने से पहले खुद के हाथ में घी या तेल लगा लें ताकि चिकनाहट बनी रहे. पशुओं के थन में कोई घाव लग गया है तो तत्काल पशु चिकित्सक की सलाह पर ट्रीटमेंट कराएं.