Budget 2023: मछली पालन को म‍िलेगा बढ़ावा, 6 हजार करोड़ के फंड की हुई घोषणा

Budget 2023: मछली पालन को म‍िलेगा बढ़ावा, 6 हजार करोड़ के फंड की हुई घोषणा

बजट 2023 में व‍ित्त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण ने पीएम मत्स्य पालन योजना को लेकर बड़ी घोषणा की है, ज‍िसके तहत योजना के ल‍िए 6 हजार करोड़ के फंड की व्यवस्था की गई है.

मछली पालन का प्रतीकात्मक फोटो. मछली पालन का प्रतीकात्मक फोटो.
नासि‍र हुसैन
  • Noida ,
  • Feb 01, 2023,
  • Updated Feb 01, 2023, 12:38 PM IST

मछली पालकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. बजट 2023 में केन्द्र सरकार ने मछली पालकों को बड़ी राहत दी है. मछली पालकों की मदद के लिए सरकार सबवेंशन स्कीम लेकर आ रही है. पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत भी तमाम तरह की सुविधाएं मछली पालकों को दी जाएंगी. और यह सब मुमकिन होगा 6 हजार करोड़ रुपये से. बजट पेश करने के दौरान केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की है. गौरतलब रहे मछली पालकों के जीवन स्तर को उठाने और आय बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार पहले से ही पीएम मत्स्य संपदा योजना चला रही है. 

मछली कारोबार और उससे बने प्रोडक्ट को बढ़ावा देने संबंधी योजनाओं पर काम होगा. फ्रोजन मछली बिक्री को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान फ्रोजन फिश सप्लाई के तीन बड़े कारोबारी फाल्कन मरीन, फ्रेश टू होम और अमलगम ग्रुप के साथ बातचीत की गई थी. 

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मछली पालकों के लिए इन योजनाओं में मदद करेगी सरकार

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के मुताबिक साल 2022-23 के लिए समुद्री खाद्य निर्यात का लक्ष्य 8,868 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किया गया है. जिसे पूरा करने के लिए झींगा मछली निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. झींगा मछली पालन को और बढ़ाने के लिए खारे पानी की जलीय कृषि के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्यवार लक्ष्य तय किए गए हैं. खासतौर पर झींगा पालन को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है. 
पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार गुणवत्ता झींगा उत्पादन, प्रजाति विविधीकरण, निर्यात होने वाली प्रजातियों को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, मानकों और प्रमाणन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं. 

प्रोसेसिंग यूनिट, आरटीई और आरटीसी को मिलेगा बढ़ावा 

कि देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट, रेडी टू ईट और रेडी टू कुक मछली को बढ़ावा देने पर काम किया जाएगा. मछली पालक उम्मेद सिंह का कहना है कि इस तरह की योजना से फ्रोजन फिश को रफ्तार मिलेगी. तभी यह कारोबार आगे बढ़ेगा. वर्ना आज भी एक आम आदमी फ्रोजन फिश के बजाए ताजा मछली ही खाना पसंद करता है, फिर चाहें उसके लिए उसे चार से छह दिन तक इंतजार ही क्यों न करना पड़े. एक्सपोर्ट की निर्भरता को कम करने के लिए यह जरूरी भी है. क्योंकि इंटरनेशन मार्केट में आज अनिश्चितता बहुत है. 

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घरेलू मछली सप्लाई में भी लागू होगी एक्सपोर्ट क्वावलिटी 

केन्द्रीय मछली विभाग पहले ही साफ कर चुका है कि फ्रोजन फिश को बढ़ावा देने के लिए घरेलू मछली सप्ला्ई में भी एक्सपोर्ट क्वालिटी को लागू करना होगा. खासतौर पर फ्रोजन मछली की तरफ लोगों का विश्वास जीतने के लिए तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में लाए जाएंगे. साथ ही देश में मौजूदा सप्लाई चेन का भी इस्तेमाल किया जाएगा. तभी लोग फ्रोजन मछली और मछली से बने प्रोडक्ट की तरफ आएंगे. 

मछली करोबार एक नजर में 

साल 2010-11 में प्रोडक्शन- 84 लाख मीट्रिक टन  
साल 2021-22 में प्रोडक्शन- 1.61 करोड़ टन 

साल 2019-20 में-

मरीन फिश प्रोडक्शन- 37.27 लाख मीट्रिक टन 
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 1.4 करोड़ मीट्रिक टन.

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