5 रुपये प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीद रही ये डेयरी, जानिए कैसे खड़ी हो रही करोड़ों की नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था

5 रुपये प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीद रही ये डेयरी, जानिए कैसे खड़ी हो रही करोड़ों की नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था

बनास डेयरी, जो भारत की सबसे बड़ी डेयरी है, उसने गुजरात में स्थानीय किसानों से ₹5 प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इससे संभावित रूप से करोड़ों रुपये की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, जो कभी बहकर बर्बाद हो जाती थी.

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क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Sep 30, 2025,
  • Updated Sep 30, 2025, 11:42 AM IST

सबसे पहले गाय का दूध ही बिकता था. फिर गोबर से कमाई होनी शुरू हुई और अब भारत की सबसे बड़ी डेयरी एक और गोजातीय उपोत्पाद (बाइप्रोडक्ट), गोमूत्र में सोना खोज लिया है. दरअसल, बनास डेयरी ने स्थानीय किसानों से ₹5 प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इससे कदम से ग्रामीण आय में वृद्धि होगी और जैविक खेती को बढ़ावा मिल सकता है. बनास डेयरी इस एकत्रित किए गए मूत्र को बनासकांठा स्थित एक संयंत्र में प्रोसेस किया जाता है, जहां इसे शक्तिशाली जैविक मृदा कंडीशनर और पौधों की वृद्धि बढ़ाने वाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जिससे रसायन-मुक्त कृषि की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.

'दूध की उम्र बीतने के बाद लावारिस हो जाता हैं पशु'

बता दें कि यह पहल उन किसानों पर केंद्रित है जो देशी कांकरेज नस्ल (गुजरात की एक मजबूत, कूबड़ वाली गाय) पालते हैं. अग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' को बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर चौधरी ने बताया कि पशुपालन केवल दूध उत्पादन पर निर्भर नहीं रह सकता. हम देखते हैं कि दूध देने की उम्र बीत जाने के बाद मवेशियों को लावारिस छोड़ दिया जाता है. ये किसानों पर आर्थिक बोझ बन जाते हैं. 

चौधरी ने आगे कहा, "इसलिए, कुछ शोध के बाद, हमने गोमूत्र में मौजूद पोटाश सहित पोषक तत्वों का दोहन करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया. इसलिए, हमने देसी गायों वाले 150 पशुपालकों से ₹5 प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीदना शुरू कर दिया है. मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यह परियोजना सफल रही है और यह भारत में डेयरी उद्योग की दिशा बदल देगी."

गोमूत्र का पहली बार बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण

यह परियोजना न केवल पशुपालकों के हाथों में सीधे पैसा पहुंचाती है – जिनमें से कई अब तक गोमूत्र का बहुत कम उपयोग करते थे – बल्कि बनास डेयरी के पर्यावरण-अनुकूल कृषि-उत्पादों के व्यापक प्रचार में भी सहायक है. गोमूत्र लंबे समय से पारंपरिक खेती और आयुर्वेदिक प्रथाओं का हिस्सा रहा है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी प्रमुख सहकारी संस्था ने इसका बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण किया है. यदि यह प्रायोगिक परियोजना सफल होती है, तो बनास डेयरी पूरे उत्तरी गुजरात में गोमूत्र संग्रहण का विस्तार करने की योजना बना रही है. इससे संभावित रूप से करोड़ों रुपये की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, जो कभी बहकर बर्बाद हो जाती थी.

जुलाई 2025 में चालू हुआ था पायलट प्लांट

राधनपुर दुग्ध शीतलन केंद्र में स्थित यह प्रायोगिक संयंत्र जुलाई 2025 में चालू हुआ था और वर्तमान में "भूमि अमृत" ब्रांड के अंतर्गत मृदा कंडीशनर और वृद्धिवर्धक का उत्पादन करता है. इस वृद्धिवर्धक को "अमोनिया युक्त गोमूत्र अर्क और पोषक तत्वों से भरपूर समुद्री शैवाल अर्क से निर्मित एक शक्तिशाली, पर्यावरण-अनुकूल जैव-उत्तेजक" के रूप में विपणन किया जाता है. इस मृदा कंडीशनर को सांद्रित गोमूत्र और समुद्री शैवाल अर्क के मिश्रण के रूप में बेचा जा रहा है, जो बंजर या बेकार कृषि भूमि और बगीचों को पुनर्जीवित कर सकता है. दोनों उत्पाद एक-लीटर पैकेजिंग में उपलब्ध हैं.

'गोमूत्र से प्रतिदिन 50-60 रुपये की कमाई'

उत्तर गुजरात के एक वरिष्ठ भाजपा नेता और गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि बनास में हम जो देख रहे हैं, वह एक गतिशील चक्रीय अर्थव्यवस्था का उदाहरण है. गाय का गोबर और मूत्र मिट्टी को पुनर्जीवित करते हैं और घास के विकास में मदद करते हैं. मवेशी इस घास को खाते हैं और दूध, गोबर और गोमूत्र देते हैं. यह एक अंतहीन चक्र है. अगर कोई किसान दूध बेचकर प्रतिदिन 100-150 रुपये कमाने के अलावा गोमूत्र से प्रतिदिन 50-60 रुपये कमाता है, तो वह मवेशियों के चारे का खर्च आसानी से उठा सकता है. बनास डेयरी के अध्यक्ष चौधरी के अनुसार, गाय के गोबर और गौमूत्र से धन कमाने का मूल विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का था, जिन्होंने हमेशा मवेशियों को "गौ-धन" कहा है.

₹1  प्रति किलो पर गोबर भी ले रही बनास

बनास डेयरी, जिसने 2024-25 में प्रतिदिन 100 लाख लीटर दूध संग्रहण का शिखर हासिल किया है, किसानों से गोबर इकट्ठा करना शुरू कर चुकी है. यह डेयरी बनासकांठा जिले में अपने कार्यशील गोबर-आधारित संपीड़ित बायोमीथेन गैस (सीबीजी) संयंत्र के लिए प्रति किलोग्राम गोबर ₹1 तक की दर से भुगतान कर रही है. इसके अलावा, इसने गुजरात में चार नए गोबर-आधारित सीबीजी संयंत्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी सुजुकी आरएंडडी सेंटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआरडीआई) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं. ये सभी संयंत्र निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं.

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