
Biosecurity तीन-चार साल में ही गायों की बड़ी बीमारी लंपी देशभर में फैल गई है. आए दिन किसी न किसी राज्य से लंपी के असर की खबरें आने लगती हैं. इसका सबसे ज्यादा असर गायों पर होता है. खासतौर से ऐसी गाय जो सड़क और खेत में छुट्टा घूम रही हैं. हालांकि इससे बचाव के लिए गायों को एक खास वैक्सीन लगाई जाती है, लेकिन फिर भी लंपी से पशुपालकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बायोसिक्योरिटी को अपनाया जाए तो पशुओं को लंपी ही नहीं पशुओं की हर तरह की बीमारी की रोकथाम की जा सकती है. बायोसिक्योरिटी का पालन न करने पर आज पशुओं के साथ उसके केयर-टेकर को भी कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
क्योंकि लंपी के लक्षण गायों के साथ ही कुत्तों और घोड़ों में भी देखे गए हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पुराने तौर-तरीको को छोड़ पशुपालन में नई तकनीकों को अपनाना पड़ेगा. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बायोसिक्योरिटी के बाद वैक्सीन न लगवाई जाए. जबकि जरूरत इस बात की है कि बायोसिक्योरिटी के साथ ही पशुओं को समय-समय पर वैक्सीन भी जरूर लगवाएं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई. ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, हुई है लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ.
एक्सपर्ट का कहना है कि हम आज तक पशुपालन को अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर करते चले आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. सबसे पहले तो हमे करना यह होगा कि हम गाय-भैंस पालें या भेड़-बकरी समेत कोई भी दुधारू पशु, हमे उसे साइंटीफिक तरीके से पालना होगा. इसके लिए जरूरत है कि हम अपने पशुओं के फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी का पालन करें और आने वाले से भी कराएं.
जैसे अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें.अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं.
दूसरा यह कि कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्ते माल हाथ साफ करने के लिए हो. ऐसा करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु की कोई बीमारी आपको न लगे. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बाहर से आपके फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हेंर सेनेटाइज करें. हाथ और उनके कपड़ों को भी सेनेटाइज करवा सकें तो बहुत ही अच्छां है वर्ना तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं.
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