
Goat Farming भारत में गाय-भैंस के बाद सबसे तेजी से जो बढ़ रहा है वो है बकरी पालन. विश्वस्तर पर भी भारत ने बकरी पालन में बड़े-बड़े देशों को भी पीछे छोड़ा हुआ है. बेशक बकरी पालन मीट के लिए किया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ रही है. मीट एक्सपोर्ट की बात करें तो साल 2023 में 600 करोड़ रुपये का हुआ था. घरेलू मीट बाजार इससे कई ज्यादा बड़ा है. बकरी पालन करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि भारत विश्वस्तर पर बकरी पालन में पहले नंबर पर आ गया है. बकरी पालन के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है.
बकरी पालन में नाइजीरिया जैसा देश भी तीसरे नंबर पर आ गया है. देश में बकरे-बकरियों की संख्या 16 करोड़ से भी ज्यादा है. सरकार भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्यों में बकरी पालन की ट्रेनिंग देने का काम कर रही है. देश में बकरियों की करीब 40 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. जमनापारी देश में बकरे-बकरियों की ऐसी नस्ल है जिसे दूसरे देश भी नस्ल सुधार के लिए मांगते हैं. कई देशों में जमनापारी नस्ल के बकरे-बकरी भेजे जा चुके हैं.
भारत में हैं 16.2 करोड़ बकरियां. जबकि चीन में 13.6 करोड़ बकरियां हैं. विश्व में कुल बकरियों की संख्या 117 करोड़ है. वहीं नाइजीरिया में बकरियों की संख्या करीब नौ करोड़ है. अब अगर देश में बकरी पालन की बात करें तो सबसे ज्यादा मीट के लिए हो रहा है. साल 2023 में 600 करोड़ रुपये का मीट एक्सपोर्ट हुआ था. अगर मीट उत्पादन की बात करें तो साल 2025 में 15 लाख टन से ज्यादा बकरे के मीट का उत्पादन हुआ है. एक्सपर्ट का कहना है कि साल 2050 तक इसके 20 लाख टन होने की उम्मीद है. अगर दूध उत्पादन की बात करें तो 2025 में 80 लाख टन उत्पादन हुआ है. वहीं 2050 में इसके 1.20 करोड़ टन होने की उम्मीद है. गौरतलब रहे बकरी के दूध को कई अलग-अलग बीमारियों में दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. डॉक्टर खुद बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं.
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