मछली उत्पादन में बिहार की बड़ी छलांग, फिर भी फिश सीड के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता बरकरार

मछली उत्पादन में बिहार की बड़ी छलांग, फिर भी फिश सीड के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता बरकरार

बिहार में 2024–25 में मछली उत्पादन 9.5 लाख टन के करीब पहुंचा और प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़ी, लेकिन स्थानीय फिश सीड की क्वालिटी कमजोर होने से उत्पादक किसानों का खर्च और चुनौतियां बढ़ीं.

बाराबंकी के फतेहपुर तहसील के बकरापुर गांव के किसान असलम खानबाराबंकी के फतेहपुर तहसील के बकरापुर गांव के किसान असलम खान
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Dec 04, 2025,
  • Updated Dec 04, 2025, 4:15 PM IST

बिहार में मछली जितना मांसाहारी भोजन में पसंद की जाती है, उतना ही इसका उत्पादन भी होता है. आज के समय में बिहार के परिप्रेक्ष्य में देखें तो मछली पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पोषण सुरक्षा, रोजगार और जीविकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण आधार बन चुका है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य मछली उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर होने की ओर है. वर्ष 2024–25 के दौरान मछली उत्पादन 9.5 लाख टन के आसपास पहुंच चुका है, जो 9.85% की वृद्धि है. फिश सीड और फिंगरलिंग उत्पादन के साथ प्रति व्यक्ति मछली उपलब्धता में भी वृद्धि हुई है. हालांकि इन उपलब्धियों के बीच मछली उत्पादक किसानों की समस्याएं अलग हैं.

मछली उत्पादन में बिहार की लंबी छलांग

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 2014–15 से 2023–24 के बीच राज्य में मत्स्य उत्पादन में 81.98% की बढ़ोतरी हुई है. 2013–14 में मछली उत्पादन के मामले में बिहार की राष्ट्रीय रैंकिंग नौवें स्थान पर थी, जबकि 2023–24 में यह चौथे स्थान पर पहुंच गई. राष्ट्रीय औसत वृद्धि दर (CAGR) 8.58% के आसपास रही है, वहीं हाल के वर्षों में बिहार की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6% से 6.7% के बीच दर्ज की गई है. इसके बावजूद राज्य में बंगाल और आंध्र प्रदेश से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में मछली आती है.

मछली व्यवसाय से राजस्व में 0.85% की वृद्धि

मत्स्य निदेशालय के अनुसार हाल के वर्षों में मत्स्य उत्पादन, फिश सीड और फिंगरलिंग उत्पादन के साथ प्रति व्यक्ति उपलब्धता में वृद्धि से राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है. वित्तीय वर्ष 2023–24 में जहां इस उद्योग से राजस्व 1752.08 लाख रुपये था, वहीं 2024–25 में बढ़कर 1767.09 लाख रुपये हो गया, जो 0.85% की वृद्धि है.

सीड की निर्भरता अब भी दूसरे राज्यों पर

विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2024–25 में बिहार में फिश सीड उत्पादन 74,156 लाख के आसपास रहा, जिसमें 44.46% की वृद्धि है. प्रति व्यक्ति मछली उपलब्धता 9.50 किलोग्राम तक पहुंच चुकी है. बावजूद इसके, राज्य में मछली उत्पादक किसानों की बड़ी संख्या अब भी फिश सीड के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है. सहरसा जिले के रहने वाले टुन्नू मिश्रा, जो करीब 20 एकड़ में मछली पालन करते हैं, बताते हैं कि वे आज भी फिश सीड कोलकाता और उड़ीसा से मंगवाते हैं.

उनका कहना है कि सरकार ने मछली पालन के क्षेत्र में काफी काम किया है, जिसमें फिश सीड उत्पादन भी शामिल है, लेकिन राज्य में तैयार हो रही सीड की क्वालिटी अभी भी मानक के अनुरूप नहीं है. बेहतर क्वालिटी का फिश सीड नहीं मिलने से उत्पादन लागत बढ़ जाती है. जहां 1 किलो मछली तैयार करने की लागत लगभग 220 रुपये आती है, वहीं बंगाल से आने वाली जिंदा मछली की कीमत भी 220 रुपये प्रति किलो रहती है. ऐसे में स्थानीय मछली कौन खरीदेगा? और इस बढ़ती लागत का एक प्रमुख कारण फिश सीड की गुणवत्ता है.

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