Goat Meat: मीट के लिए खूब पाली जा रही हैं बकरों की ये तीन खास नस्ल, जानें क्यों 

Goat Meat: मीट के लिए खूब पाली जा रही हैं बकरों की ये तीन खास नस्ल, जानें क्यों 

Goat Meat Market भारतीय बकरों के मीट की देश ही नहीं विदेशों में भी खूब डिमांड है. इसमे राजस्थान के बकरों की तीन खास नस्ल भी शामिल हैं. बीते कुछ साल पहले कतर में हुए फीफा वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय बकरों का मीट बहुत पसंद किया गया था. पशुगणना के मुताबिक देश में हर साल डेढ़ से दो फीसद तक बकरियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 05, 2025,
  • Updated Dec 05, 2025, 7:48 AM IST

Goat Meat Market बकरी पालन अब गांव से निकलकर शहर में भी फैल गया है. गांव ही नहीं शहर में भी लोग अब बकरी पालन को रोजगार बना रहे हैं. केन्द्र और राज्य बकरी पालन पर ट्रेनिंग दे रही हैं. सरकार इसे उन्नत बनाने के लिए काम कर रही है. हाल ही में सरकारी कोशि‍शों के चलते बकरे-बकरियों की तीन नई नस्ल को रजिस्टर्ड किया गया है. यह तीन नस्ल सोजत, गुजरी और करोली हैं. इन्हें खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. अगर आप भी बकरीद और स्थानीय बाजार की डिमांड पूरी करने के लिए बकरे-बकरी पालते हैं तो और ज्यादा मुनाफे के लिए सोजत, गुजरी और करोली को पाल सकते हैं. 

हालांकि देश के कुल दूध उत्पादन में बकरियों के दूध का योगदान करीब साढ़े तीन फीसद है. लेकिन देश में बकरे-बकरियों को मीट कारोबार के लिए ज्यादा पाला जाता है. पशुगणना 2019 के आंकड़ों पर जाएं तो देश में  बकरे-बकरियों का आंकड़ा 15 करोड़ है. इसमे से 3.63 लाख बकरियां दूध देने वाली हैं. साल 2024-25 में 80 लाख टन दूध दिया था. वहीं इसी साल 15 लाख टन ज्यादा मीट का उत्पादन हुआ है. 

150 किलो वजन का हो जाता है गुजरी  

गुजरी नस्ल खासतौर पर राजस्थान के अलवर में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे का औसत वजन 69 और बकरी का 58 किलो तक होता है. लेकिन ज्यादातर महाराष्ट्र में इस नस्ल  के बकरे की स्पेशल तरीके से खिलाई कर उसे वजनी बनाया जाता है. जानकारों की मानें तो बकरा 150 किलो के वजन को भी पार कर जाता है. इस नस्ल की बकरी रोजाना औसत 1.60 किलोग्राम तक दूध देती है. यह सफेद और भूरे रंग की होती है. इसके पेट, मुंह और पैर पर सफेद धब्बे होते हैं.

बकरीद पर खूब पसंद किया जाता है सोजत 

सोजत नस्ल की बकरी नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाई जाती है. यह जमनापरी की तरह से सफेद रंग की बड़े आकार वाली नस्ल की बकरी है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्रा में भी खासी डिमांड रहती है. 

कम फैट वाले मीट के लिए है करोली की डिमांड 

कोटा, बूंदी, बांरा और सवाई माधोपुर में करोली नस्ल की बकरियों खूब पाली जाती हैं. औसत 1.5 लीटर तक दूध रोजाना देती हैं. लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो राजस्थान और यूपी के लोकल बाजारों में इसके मीट की खासी मांग है. इसका पूरा शरीर काले रंग का होता है. सिर्फ चारों पैर के नीचे का हिस्सा भूरे रंग का होता है. इसकी एक खास बात यह भी है कि सिर्फ मैदान और जंगलों में चरने पर ही यह वजन के मामले में अच्छा रिजल्ट देती है. 

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