महाराष्ट्र के वाशिम जिले में अपने जानवर बेचने आ रहे किसानों को खरीदार नहीं मिलने के कारण वे परेशान दिखाई दिए. किसानों का कहना है कि बजरंग दल इस समस्या के लिए जिम्मेदार है. किसानों का कहना है कि वे मवेशियों के बेचकर अच्छी कमाई करते हैं. यहां तक कि वे पशुओं की बिक्री को लेकर कई महीनों का इंतजार करते हैं. लेकिन उनके इंतजार पर अब पानी फिर जा रहा है क्योंकि बजरंग दल की वजह से उनके मवेशी नहीं बिक पा रहे हैं.
जिले के कारंजा शहर की उपज मंडी में सोमवार को भैंस, बैल और बकरियों की खरीदी और फरोख्त का बाजार भरता है. पिछले 2 हफ्तों में इसी बाजार में किसानों के जानवरों को खरीदार नाममात्र के मिलते दिखाई दिए. किसानों ने कहा कि उन्हें पैसों की जरूरत है. इसलिए वह अपने बैल और दूसरे जानवर बेचने के लिए ला रहे हैं लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
कुछ खरीदार बाजार में थे. उनसे जानवर न खरीदने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हम किसानों से जानवर खरीदते हैं, वह भी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद. लेकिन जैसे ही हम जानवर लेकर अपने घर जाते हैं तो कहीं भी बजरंग दल के कार्यकर्ता हमें रुकवाते हैं, पीटते हैं और हमारे लाखों रुपयों के खरीदे गए जानवर गौशाला में डालने का कहकर हमसे छीन लेते हैं. बजरंग दल की यह हरकत हर हफ्ते बढ़ती जा रही है, जिस कारण हमने किसानों के जानवर खरीदना बंद कर दिया है.
एक किसान ने कहा कि उसके घर शादी है, पैसे की जरूरत है, इसलिए जानवर बेचना है. अगर जानवर नहीं बिके तो आत्महत्या ही पर्याय है. एक किसान ने कहा कि जानवर हमारे हैं, बजरंग दल वालों को किसने अधिकार दिया कि हमारे जानवर छीन लें. बजरंग दल वाले जानवरों को गौशाला में डालने के बहाने खुद बेचते हैं, क्योंकि गौशाला में जानवर दिखाई ही नहीं देते तो यह जानवर रखे कहां जाते हैं.
किसान अपने जानवर बेचने के लिए बड़ी उम्मीद से बाजार में लाते हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिलने के कारण वापस अपने घर ले जाते हैं, जिसका उन्हें खर्च भी आता है जो व्यर्थ हो रहा है. एक किसान ने तो कहा कि बजरंग दल क्या सरकारी संगठन है. इस पर बंदी लगनी चाहिए. आर्थिक परिस्थिति के चलते माता पिता को संभलना मुश्किल है तो फिर जानवरों को कैसे संभालें.
कुछ जानवर खरीदने वालों ने बताया कि वह किसान से जानवर लेते हैं, लेकिन जैसे ही उसे लेकर वह अपने घर या किसी दूसरे किसान को बेचने ले जाते हैं तो बजरंग दल के लोग बीच रास्ते उन्हें रोक कर उनको पीटते और जानवर छीन लेते हैं. बहुत से भैंसों के खरीदार संभाजी नगर से कारंजा शहर में जानवरों के बाजार में भैंसें खरीदने आते थे, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से उनका आना भी बंद हो गया है, क्योंकि उनके साथ भी बीच रास्ते जानवर जबरदस्ती छीन ले जाने की घटना हुई. जाहिर सी बात है. अगर लाखों रुपयों देकर खरीदे गए जानवर कोई जोर जबरदस्ती से छिनेगा तो व्यापारी क्यों आफत मोल लेंगे. हमेशा अपनी फसलों की उपज और आपदा से घिरा रहने वाला किसान इस बार अपने जानवरों को लेकर चिंता में दिखाई दे रहा है.