युवाओं से लेकर महिलाओं में मछली पालन का क्रेज बढ़ता जा रहा हैं. वो अपनी मेहनत से सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. ऐसी ही कहानी वाराणसी के विक्रांत पाठक और जौनपुर की मीरा सिंह की है, जिन्होंने आज समाज में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. सबसे पहले वाराणसी के पिंडरा विकासखंड के चुप्पेपुर पोस्ट के पिंडराई ग्राम निवासी विक्रांत पाठक की कहनी बताते हैं कि उन्होंने एक हेक्टेयर भूमि पर तालाब बनाकर मत्स्य पालन की शुरूआत की थी. प्रारंभिक लाभ कम होने पर उन्होंने मत्स्य विभाग से संपर्क कर तकनीकी सहायता प्राप्त की और वैज्ञानिक विधियों को अपनाया.
विक्रांत ने दो हेक्टेयर निजी और 40 हेक्टेयर लीज भूमि का उपयोग कर बेस फिश फॉर्मिंग विकसित किया. उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से एफपीओ गठित कर 150 मत्स्य पालकों को जोड़ा. साथ ही 30-40 लोगों को रोजगार भी प्रदान किया. आज विक्रांत 42 हेक्टेयर भूमि पर विकसित की बेस फिश फॉर्मिंग से प्रति वर्ष सवा से डेढ़ करोड़ की कमाई कर रहे है.
विक्रांत ने बताया कि 27 मई 2025 को विश्व बैंक की टीम ने उनके फॉर्म का भी निरीक्षण किया. आज पिंडरा ब्लॉक में वैज्ञानिक विधियों से मत्स्य बीज उत्पादन पर उनका जोर है. वे साढ़े चार-पांच लाख पंगेसियस बीज का संचयन व दो उत्पादन चक्रों में चार हजार से 4500 कुंतल उत्पादन कराने में भी सफल हो रहे हैं. 2024-25 में सात लाख पंगेसियस व 30 हजार आईएमसी बीज का संचालन भी वहां किया जा रहा है.
यही नहीं, युवाओं को रोजगार सृजन का रास्ता दिखाने वाले विक्रांत वर्तमान में मत्स्य पालन से एक से डेढ़ करोड़ रुपये वार्षिक आमदनी भी कर रहे हैं. विक्रांत कहते हैं कि उनका लक्ष्य एफपीओ का विस्तार कर 500 किसानों को जोड़ना है. उत्पादन क्षमता के साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार पर जोर देते हुए वे समावेशी ग्रामीण विकास में योगदान जारी रखेंगे.
इसी क्रम में जौनपुर के शाहगंज तहसील के सुइथाकला विकास खंड के ग्राम बुढ़ूपुर की मीरा सिंह ने तालाब निर्माण (नीली क्रांति) मत्स्य बीज हैचरी से प्रगतिशील मत्स्य पालक के रूप में अपनी पहचान बनाई. मीरा सिंह ने 2020-21 में एक एकड़ में मत्स्य पालन की शुरुआत की थी. वहीं उनके पति जैनेंद्र सिंह ने भी उनका बखूबी साथ निभाया. मत्स्य बीज हैचरी स्थापना के लिए विभाग की तरफ से मीरा सिंह को 15 लाख रुपये का अनुदान भी दिया गया था. विभाग के मार्गदर्शन में उन्होंने वैज्ञानिक ढंग से मत्स्य पालन का विस्तार किया.
मीरा सिंह ने बताया कि पहले शुरूआत में उत्पादन महज 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष होता था. 2024-25 में वे 25 एकड़ में मत्स्य पालन कर रही हैं, जहां से 1400 कुंतल प्रति हेक्टेयर वार्षिक उत्पादन हो रहा है. उनके तालाब से 1250 कुंतल पंगेशियस, 60-60 कुंतल रोहू व भाकुर, 30 कुंतल मृगल का उत्पादन हो रहा है. मीरा अब आसपास के गांवों में भी मत्स्य बीज की सप्लाई कर रही हैं. वहीं क्षेत्रीय किसानों के लिए प्रेरणा बनीं मीरा सिंह 10 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रही हैं.
मत्स्य विभाग के निदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि मत्स्य पालन कर युवाओं, महिलाओं ने सफलता की नई कहानी लिखी है, जो उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं की प्रभावशीलता और जमीनी स्तर पर सफलता को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के नेतृत्व में समाज के सभी वर्ग तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. मत्स्य पालन जैसी विभिन्न योजनाओं से जुड़कर भी लोग आत्मनिर्भर और प्रदेश के आर्थिक विकास में सहभागी बन सकते हैं.
रहमानी ने बताया कि वर्तमान समय में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषाद राज बोट योजना और मत्स्य पालक कल्याण कोष (शिक्षा, चिकित्सा, आवास, विवाह, दैवीय आपदा एवं अन्य) सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इस योजनाओं को लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन कर सकता है.
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