यूपी सहित समूचे उत्तर भारत में लोगों को पिछले डेढ़ महीने से भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. दक्षिण पश्चिम माॅनसून की सक्रियता और Western Himalayan Region में पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी राज्यों में हो रही बारिश ने न केवल प्राणघातक गर्मी से निजात दिलाई है, बल्कि धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुआई करने की तैयारी कर रहे किसानों के लिए भी यह बारिश राहत का सबब साबित हुई है. इससे यूपी के लगभग सभी इलाकों के तापमान में 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है. मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अब माॅनसून की दस्तक के साथ ही भयंकर गर्मी की वापसी नहीं होगी.वहीं Agriculture Scientists ने भी मौसम के बदले रुख को देखते हुए किसानों को खरीफ सीजन के लिए परामर्श जारी किया है.
IMD और यूपी सरकार के कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम मौसम के मुताबिक किसानों को लगातार परामर्श जारी करती है. यूपी कृषि अनुसंधान परिषद और मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का समूह Crop Weather Watch Group ने अगले एक सप्ताह में तापमान में गिरावट का दौर जारी रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है.
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इसके अलावा इस अवधि में उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र, पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं विंध्य क्षेत्र में कहीं कहीं भारी वर्षा होने की संभावना है. वहीं Western UP में 24 जून तक कहीं कहीं गरज चमक के साथ छिटपुट वर्षा होने और 25 से 27 जून तक कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है.
ग्रुप के मुताबिक प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र, पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं विंध्य क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा मध्य मैदानी क्षेत्र के पूर्वी भाग में अगले एक सप्ताह तक Average Maximum Temperature 38 से 40 डिग्री से. पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग, मध्य मैदानी क्षेत्र के मध्यवर्ती भाग एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के अधिकांश भाग में अधिकतम औसत तापमान 40 से 42 डिग्री से. रह सकता है. जबकि प्रदेश के अन्य Agroclimatic Zone में यह 42 से 44 डिग्री से. रहने की संभावना है. यद्यपि 21 से 23 जून के दौरान कुछ स्थानों पर अधिकतम तापमान इस सीमा से अधिक हो सकता है.
माॅनसून के लिहाज से ग्रुप ने बताया कि 01 से 20 जून के दौरान यूपी में अनुमान से बहुत कम बारिश हुई है. इस अवधि में 42.3 मिमी के दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष कुल 9.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई है. यह सामान्य से 78 प्रतिशत कम है. इस दौरान पूर्वांचल में महज 11.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई. जबकि पश्चिमी यूपी में 6.3 मिमी बारिश हुई.
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क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप ने यूपी में मौसम के मौजूदा हालात को देखते हुए किसानों को अगले एक सप्ताह में कृषि प्रबंधन के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए गए हैं. इसके मुताबिक दक्षिणी पश्चिमी यूपी के अर्ध शुष्क मैदानी इलाकों तथा आसपास के क्षेत्रों में अभी भी तापमान सामान्य से अधिक रहेगा तथा वर्षा की भी कम संभावना है.
इसके मद्देनजर किसानों को सलाह दी गई है कि वे खरीफ फसलों की बुवाई तथा धान की रोपाई उचित नमी होने या वर्षा प्रारंभ होने पर ही करें. जो किसान अभी तक धान की नर्सरी नहीं डाल पाये हैं, वे मध्यम अवधि में 120 से 130 दिन वाली या कम अवधि में 105 से 120 दिन वाली धान की किस्मों की नर्सरी डालें. जिन किसानों ने धान की अधिक अवधि वाली किस्मों की नर्सरी अभी तक नहीं डाली है, वे पूर्वी यूपी में सण्डा विधि (डबल रोपाई) से रोपाई करने हेतु अभी भी नर्सरी डाल सकते हैं.
धान की नर्सरी में जड़ की सूड़ी व दीमक का प्रकोप होने पर नियंत्रण हेतु किसान क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें. जड़ की सूड़ी के नियंत्रण के लिये फोरेट 10 जी 10 किग्रा 3.5 सेमी स्थिर पानी से बुरकाव करें. नर्सरी में खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किग्रा. जिंक सल्फेट को 2 प्रतिशत यूरिया के घोल के साथ अथवा 2.50 किग्रा बुझे हुए चूने को प्रति हेक्टेयर लगभग 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. नर्सरी में सफेदा रोग के नियन्त्रण हेतु 5 किग्रा फेरस सल्फेट को 2 प्रतिशत यूरिया के घोल अथवा 2.50 किग्रा बुझे हुए चूने को प्रति हेलगभग 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
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कृषि वैज्ञानिकों ने धान के अलावा अन्य खरीफ फसलों की बुवाई हेतु किसानों को शोधित बीज का ही प्रयोग करने की सलाह दी है. यदि बीज शोधित नहीं है तो उसे शोधित करके ही बुवाई करें. इसके अलावा मौसम के इस रुख को देखते हुए किसान धान की कम अवधि की प्रजातियों की सीधी बुवाई भी कर सकते हैं. नर्सरी में पानी का तापमान बढ़ने पर क्यारी से दोपहर के पहले पानी निकाल कर सायंकाल पुनः सिंचाई करें. अन्यथा तापमान ज्यादा होने पर नर्सरी खराब हो सकती है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जो किसान अरहर बोना चाहते हैं, वे इसका अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रिज और मेड़ बनाकर मेड़ों पर बुआई करें. वहीं, गन्ना में चोटी बेधक कीट के प्रकोप की आशंका के दृष्टिगत किसान अभी से सुरक्षित उपचार करना प्रारंभ कर दें. सरकार की प्राथमिकताओं के दृष्टिगत मोटा अनाज जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदों आदि की खेती को महत्ता दी जाय. किसान इन फसलों की खेती करके मौसम के कुप्रभाव से भी बच सकते हैं.
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