किसानों के लिए राहत भरी खबर है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने माॅनसून यानी माॅनसून 2023 के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जारी किया है.IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा और मौसम और पृथ्वी विज्ञान विभाग के सचिव एम रविचंद्रन ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्वानुमान संबंधी आंकड़ें जारी किए.साथ ही IMD ने माॅनसून पर अल नीनो के प्रभावी रहने जैसी अटकलों को भी खारिज किया है. हालांकि IMD ने स्वीकार किया है कि माॅनसून पर अल नीनो का ग्रहण (माॅनसून को अल नीनो प्रभावित करेगा) लगेगा, लेकिन साथ ही IMD ने बताया कि अल नीनो को काउंटर करने के हालात भी वायुमंडल में बन रहे हैं, जिसमें यूरेशिया में हुई कम बर्फबारी समेत तीन कारण माॅनसून में सामान्य बारिश कराने के लिए हीरो की भूमिका निभाएंगे.
आइए जानते हैं कि IMD ने कितने फीसदी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है. अल नीनो क्या है. माॅनसून में होने वाली बारिश की गणना कैसे की जाती है. माॅनसून की गणना का पैटर्न क्या है. कितने फीसदी बारिश को सामान्य और अधिक मापा जाता है. साथ ही ये तीन हालात कौन से हैं, जिनके कारण अल नीनो का असर माॅनसून पर बेहद कम पड़ने की संभावनाएं हैं. वहीं ये भी समझने की कोशिश करते हैं कि मौसम विभाग के इतने ताम-झाम के बाद भी उसकी गणना सटीक क्यों नहीं होती हैं.
मॉनसून शब्द अरबी शब्द मौसिम से आया है, जिसका हिंदी अर्थ मौसम या सीजन है. वैसे तो माॅनसून एक तरह की हवाएं हैं. मसलन माॅनसून सीजन में हवाएं दिशाएं बदलती हैं, जो अपने साथ बारिश लाती हैं. सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये सूर्य का ताप बढ़ने पर हिंद महासागर से माॅनसूनी हवाएं उठती हैं, तो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से अलग-अलग होकर पूरे भारत को भीगाती हैं.
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IMD ने माॅनसून 2023 के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जारी किया है. जिसके तहत IMD ने कहा कि इस माॅनसून 96 फीसदी बारिश होगी. अगर बारिश की गणना प्रतिशत की जाए तो IMD ने इस माॅनसून 83 फीसदी बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया है.
IMD माॅनसून की गणना LPA के आधार पर करता है, जिसमें पिछले 50 साल के माॅनसून सीजन में हुई बारिश का औसत निकाला जाता है. मॉनसून 2023 में भी IMD ने साल 1971 से 2020 तक के माॅनसून की गणना की है. इन सालों में हुई बारिश का औसत 87 फीसदी निकाला गया है. यहां ये ध्यान रहे कि इन 50 साल में कभी 87 फीसदी से कम या अधिक बारिश हुई होगी, लेकिन इन 50 साल में हुई बारिश का औसत 87 फीसदी है. इसी को आधार बना कर IMD ने मॉनसून 2023 में 96 फीसदी यानी सामान्य बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया है.
मौसम विज्ञान एक गणना का विज्ञान है, जिसमें गणनाओं और आकलन के आधार पर पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं. ऐसे में IMD माॅनसून संबंधी पूर्वानुमान के लिए दो मॉडल का प्रयोग करता है. जिसमें एक आंकड़ें आधारित माॅडल है तो दूसरा डायनमैनिक पैटर्न मॉडल है. आंकड़ें आधारित मॉडल में IMD मौसम पूर्वानुमान के लिए पुराने माॅनसून के आंकड़ों का प्रयोग करता है. LPA आधारित गणना इसका प्रमुख चेहरा है. वहीं डायनमैनिक पैटर्न मॉडल में माॅनसून की गणना माॅनसून में हो रहे लगातार बदलाव के पैटर्न पर आधारित होती है.
IMD माॅनसून में होने वाली बारिश की गणना 6 मानकों में करता है. इसमें न्यूनतम बारिश, सामान्य से नीचे, सामान्य बारिश, सामान्य से अधिक, अधिक बारिश शामिल है. इसकी गणना फीसद में की जाती है. माॅनसून अवधि में 868.6 मिली मीटर बारिश को सामान्य बारिश माना जाता है. यहां ग्राफ में समझें
अल नीनो को साधारण भाषा में समझें तो ये एक तरह की गर्म हवाओं का नाम हैं. असल में प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की मौजूदगी से बनने वाले जलवायु प्रभाव को ही अल नीनो कहा जाता है. इससे सतह पानी का गर्म रहता है. जिससे पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं. मसलन, माॅनसूनी हवाएं अपने साथ बारिश लाती हैं, लेकिन, अल नीनो के प्रभाव से ये माॅनसूनी हवाएं कमजोर पड़ती हैं तो बारिश पर असर रहता है.
मौसम विभाग यानी IMD ने मानसून 2023 में अल नीनो के प्रभावी रहने का पूर्वानुमान जारी किया है. IMD के डीजी डॉ मृत्यूंजय महापात्रा ने मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जुलाई के दौरान माॅनसून पर अल नीनो का असर दिखाई दे सकता है. इसके असर पर बात करें तो जुलाई के दूसरे सप्ताह में गर्मी अधिक हो सकती है. मसलन तापमान में बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि IMD ने अल नीनो को काउंटर कर रही परिस्थितियों पर चर्चा की है, जिससे माॅनसून में सामान्य बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया गया है.
IMD ने अल नीनो के प्रभाव को स्वीकार है, लेकिन साथ ही ये कहा है कि वायुमंडल में इस माॅनसून ऐसे तीन कारण बन रहे हैं, जो सामान्य बारिश का रास्त साफ करेंगे. IMD ने इसके पीछे यूरोप और एशिया में कम बर्फबारी, इंडियन ओसियन डाइपोल और अल नीनो पैटर्न का हवाला दिया है. आइए तीनों प्वाॅइंट को विस्तार से समझते हैं.
IMD ने कहा कि यूरोप और एशिया में हुई कम बारिश, माॅनसून में अल नीनो के प्रभाव को कम करेगी. IMD के महानिदेशक महापात्रा ने कहा कि नवंबर से मार्च तक के बीच यूरोप और एशिया में कर्म बर्फबारी दर्ज की गई है. मसलन, वहां कम बर्फवारी का क्षेत्र दिख रहा है. अभी तक के पैर्टन में ये देखा गया है कि जब भी बर्फबारी का क्षेत्र कम होता है तो माॅनसून में अधिक बारिश दर्ज की जाती है. इस वजह से अल नीनो के प्रभाव के बीच माॅनसून में सामन्य बारिश दर्ज किए जाने का पूर्वानुमान है.
IMD ने स्पष्ट किया है कि इंडियन ओसियन डाइपोल (IOD) भी माॅनसून पर अल नीनो के प्रभाव को कम करने मदद करेगा. कुल मिलाकर भारतीय खांटी शब्दों में इस माॅनसून भारतीय अल नीनो बनाम अल नीनो की जंग होने की पूरी संभावनाएं हैं. असल में IOD को भारतीय अल नीनो भी कहा जाता है. IMD ने कहा है कि इस माॅनसून पीरियड में IOD के न्यूट्रल रहने की संभावनाएं हैं, जिससे माॅनसून में अल नीनो को असर कम होगा और बारिश होगी.
कम शब्दों में समझा जाए तो IOD हिंद महासागर और ऑस्ट्रेलिया बेसिन से घिरे देशों के बारिश पैटर्न में करने के लिए जाना जाता है. IOD अगर पॉजिटिव रहता है तो इंडोनेशिया और सुमात्रा में ठंड बढ़ जाती है. तो वहीं अफ्रीकी तट के कुछ हिस्सों में गर्मी बढ़ जाती है, जिसे भारतीय माॅनसून के लिए फायदेमंद माना जाता है. वहीं IOD के निगेटिव होने पर पूर्वी मध्य इंडियन ओसियन का तापमान गर्म हो जाता है, जबकि पश्चिमी समुद्र ठंडा हो जाता है, जिससे माॅनसून प्रभावित होता है. इस बार इसके न्यूट्रल रहने का अनुमान जारी किया गया है.
अल नीनो को माॅनसून का विलेन घोषित करने जैसी अवधारणा को IMD ने नकारा है. IMD ने कहा है कि बेशक इस माॅनसून अल नीनो का प्रभाव रहेगा, लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि ये माॅनसून की बारिश को प्रभावित करेगा. IMD ने इसके पीछे अल नीनो पैटर्न का हवाला दिया है. IMD ने बीते 50 साल में अल नीनो के प्रभाव को लेकर डाटा जारी किया है, जिसके मुताबिक बीते 50 साल में से 15 साल के माॅनसून पर अल नीनो का प्रभाव देखा गया है, लेकिन यहां पर ये दिलचस्प है कि सिर्फ 9 बार ही अल नीनो को माॅनसून को प्रभावित किया है, जबकि 15 में से 6 बार अल नीनो प्रभावी होने के दौरान भी माॅनसून में अच्छी बारिश हुई है.
IMD ने माॅनसून 2023 के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जारी किया है. जिसमें IMD ने दोनों ही मॉडलों पर गणना के बाद इस माॅनसून सामान्य बारिश रहने का अनुमान जारी किया है. मालूम हो कि IMD माॅनसून की गुणना दो मॉडलों पर करता है, जिसमें एक माॅडल पुराने आंकड़ों पर आधारित है, जबकि दूसरा मॉडल मौसम की होने वाली घटनाओं की गणनाओं पर आधारित है. ये शुभ संकेत है कि दोनों की मॉडल की गणनाओं में इस बार सामान्य बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया गया है.
IMD ने बेशक मॉनसनू के सामान्य रहने का पूर्वानुमान जारी किया है, लेकिन इसे अंतिम अनुमान मानाना सही नहीं होगा. अगर ये कहा जाए कि मौसम की सटीक गणना भगवान को पाने जैसी ही है तो इसमें कोई दो राय नहीं है, जिसकी बानगी माॅनसून 2022 है, जिसमें मौसम विभाग के पूर्वानुमान से 6 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई थी. हालांकि इस बात को IMD भी मानता है. IMD अपने मॉडल आधारित पूर्वानुमान से प्राप्त बारिश के प्रतिशत में 5 फीसदी जोड़ जाने या घटाए जाने की बातें करता है. मसलन, अगर इस बार 96 फीसदी बारिश का पूर्वानुमान है, तो उसमें 5 फीसदी बढ़ोतरी और कमी होने की संभावनाएं हैं. हालांकि ये IMD का प्रारंभिक अनुमान है, IMD इसके सटीक अनुमान मई के आखिरी सप्ताह में जारी करेगा.
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