देश के पर्वतीय क्षेत्रों पर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के बाद से बिहार के मौसम ने करवट ली है. बीते 48 घंटों के दौरान राज्य के अधिकांश जिलों में हुई बारिश की वजह से ठंड का असर एक बार फिर बढ़ा है. वहीं मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले 27 फरवरी को राज्य के दक्षिण भाग के इलाकों के कुछ स्थानों पर बारिश होने की संभावना है. वहीं अगले पांच दिनों के दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन होने के आसार नहीं है. इसके साथ ही दो दिनों के दौरान राज्य में हुई बारिश पर नजर डालें तो गोपालगंज में सबसे अधिक 30 मिमी बारिश दर्ज की गई.
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय अवधि के दौरान मटर की फसल में फली छेदक कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है.जिसको देखते हुए किसान मटर के फसलों की निगरानी करें. वहीं दक्षिण बिहार के कुछ इलाकों में 27 फरवरी को बारिश को लेकर मौसम विभाग ने संभावना व्यक्त किया है. जिसको देखते हुए किसान अगर किसी खड़ी फसल की सिंचाई के बारे में सोच रहे हैं. तो वह कुछ दिनों के लिए सिंचाई करने का विचार को खत्म कर दें.
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फरवरी महीनें में जहां मौसम के मिजाज में काफी बदलाव देखने को मिला है. महीने के शुरुआती सप्ताह में बारिश होने के बाद एक बार फिर लोगों को थोड़ी गर्मी का एहसास होने लगा था. वहीं 21 फरवरी से लेकर 23 फरवरी के बीच राज्य के अधिकांश जिलों में हुई बारिश के बाद एक बार फिर अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज किया गया. जिसके बाद से लोगों को ठंड का एहसास होने लगा है. वहीं मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले 27 फरवरी को बिहार के दक्षिणी भाग के बक्सर,कैमूर,रोहतास, भोजपुर,अरवल,औरंगाबाद, पटना,नालंदा, शेखपुरा,गया, नवादा,बेगूसराय, लखिसराय, जहानाबाद,भागलपुर, बांका,जमुई,मुंगेर,और खगड़िया जिला शामिल हैं.
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर की ओर से जारी साप्ताहिक किसान एडवाइजरी के अनुसार इस महीने में मटर की फसल में फली छेदक कीट लगने की संभावना अधिक रहती है. जिसको देखते हुए फसलों की निगरानी करने की जरूरत है. इस कीट के पिल्लू फलियां में जालीनुमा आवरण बनाकर उसके नीचे फलियां में प्रवेश कर जाते हैं. यह अंदर ही अंदर मटर के दोनों को खाती रहती हैं. एक पिल्लू एक से अधिक फलियों को नष्ट करता है जिससे उपज में काफी कमी आती है. इसके प्रबंधन हेतु प्रकाश फंदा का उपयोग करें.साथ ही कृषि वैज्ञानिक से इस रोग से जुड़ी दवा का सलाह ले सकते हैं.
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