झारखंड में गुरुवार को बारिश हुई है. अक्टूबर महीने के बाद झारखंड के कई इलाकों में बारिश दर्ज की गई है. हालांकि यह बारिश बहुत तेज नहीं हुई है. लेकिन मौसम विभाग ने ओलावृष्टि को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है. रांची मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक राज्य के उत्तर पूर्वी और निकटवर्ती भागों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि की संभावना है. इससे देखते हुए मौसम विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजारी जारी की है, ताकि किसानों को फसल नुकसान से बचाया जा सके.
मौसम विभाग ने फसल अनुसार उस पर ओलावृष्टि के संभावित असर का अनुमान लगाया है. साथ ही उसके बचाव के लिए भी उपाय बताए हैं. गेहूं के लिए जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि ओलावृष्टि के कारण दानों के पकने में देरी हो सकती है. साथ ही तेज ओलावृष्टि से पौधे गिर सकते हैं. इसके नुकसान हो सकता है. इससे बचाव के लिए किसान अपने परिपक्व हो चुके गेहूं की जल्द से जल्द कटाई करें और उन्हें सुरक्षित और सूखे स्थान पर रख दें.
सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जिसकी खेती इस सीजन में खूब होती है. इस समय सरसों की जो फसल पक चुकी है या पकने के कगार पर हैं. उन्हें काटने की एडवाजरी जारी की गई है. असल में ओलावृष्टि होने पर जल भराव के कारण फसल झुक जाती हैं. जड़ की बढ़ोत्तरी रुक जाती है. सरसों के तने में सड़न और अल्टरनेरिया ब्लाइट जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा अत्यधिक ओलावृष्टि से फली गिर सकती है. इससे बचाव के लिए किसानों को पकी हुई सरसों की कटाई करने की सलाह दी गई है.
मौसम विभाग की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि जिन किसानों के खेत में इस वक्त फल और सब्जियां हैं ओलावृष्टि के कारण उन्हें सबसे अधिक नुकसान हो सकता है. ओला और वर्षा के कारण सब्जियों में सड़ना आ सकती है. खास कर टमाटर में इसका खासा असर हो सकता है. फल चटकने की शिकायत आ सकती है. इसका बचाव के लिए किसान खड़ी फसलों को रोग से बचाने के लिए जो फसल गिर गए हैं, उन्हें जल्द से जल्द खेत से निकाल दें. इसके अलावा खाद के साथ साथ किसान खेत में पौधों की बढ़वार और मजबूती के लिए उर्रवरक का छिड़काव करें. इसके अलावा दलहनी फसल पर भी ओलावृष्टि का असर हो सकता है, इसके लिए किसान भाई बचाव के उपाय कर लें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today