
आज के समय में किसानों के लिए पारंपरिक खेती से ज्यादा फलदार वृक्षों की खेती में मुनाफा है. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली महिला किसान हितेश चौधरी प्रखण्ड बायो एनर्जी किसान प्रोड्यूसर कंपनी लि० के नाम से एफपीओ चलाती है. हितेश 'ताइवान पिंक अमरूद' की बागवानी के जरिए किसानों की आमदनी दोगुनी करने में जुटी हैं. गांव चक छावी की रहने वाली प्रगतिशील किसान हितेश चौधरी ने बताया कि ताइवान पिंक अमरूद की खेती किसानों के लिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से लंबे समय तक मुनाफा देगी. आज हितेश इतनी जबरदस्त कमाई कर रहीं हैं कि आसपास में उनकी पहचान 'लखपति दीदी' के रूप में हो गई है. उन्होंने बताया कि अमरोहा जिले में अभी 120 एकड़ में किसान ताइवान पिंक अमरूद की बागवानी कर रहे है, आने वाले समय में 500 एकड़ का टारगेट है.
उन्होंने बताया कि सबसे खास बात है कि आम की तरह पहली बार अमरूद पर बैगिंग यानी पेपर बैग का इस्तेमाल किया है. जिससे फल में रोग और कीटों से बचाया जा सके. वहीं उत्पादन के साथ स्वाद में भी ये बेहद स्वादिष्ट होगा. महिला किसान हितेष बताती हैं कि ताइवान पिंक अमरूद की एक खूबी है कि ज्यादा दिनों तक रखा जाए तो खराब भी नहीं होता है.
वहीं ड्रॉपिंग भी कम होती है. कीड़े भी कम लगते है और कीपिंग क्वालिटी भी अच्छी है. इस प्रजाति के अमरूद की मांग हर क्षेत्र में फैल रही है. क्योंकि ये लगाते हीं 6 महीने में फल देने लग जाता है.
उन्होंने कहा कि इसकी खेती में 40 से 50 हजार तक प्रति एकड़ खर्च आता है. पहले 6 महीने में एक एकड़ में 1.80 लाख रुपये की बचत हो जाएगी. जबकि पूरे साल की बचत 3.60 लाख रुपये के करीब होगी तथा दूसरे साल में सीधे तौर पर 4.80 लाख रुपये तक बचत आसानी से हो जाती है.
प्राकृतिक खेती के जरिए सफलता की नई कहानी लिख रही हितेश ने आगे बताया कि मार्केट में इस अमरूद की कीमत 60-80 रुपये प्रति किलो के रेट से बिक जाता है. क्योंकि अच्छे से साफ करके इसकी पैकेजिंग करके लोकल मंडी में सप्लाई किया जाता है.
अमरोहा ब्लाक क्षेत्र के गांव चक छावी की रहने वाली हितेश चौधरी ने बताया कि इस ताइवान पिंक अमरूद फल की खेती किसी भी मिट्टी में संभव है. खास तौर पर बलुई दोमट मिट्टी में इसका और बहता तरीके से खेती हो सकता है. मार्च से अक्टूबर तक का महीना इसकी खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है. उन्होंने बताया कि अगर आप इसकी खेती व्यवसायिक रूप से करना चाहते है तो आप एक एकड़ में 640 पौधा लगा सकते है. जिसके लिए 2-2 फिट की दूरी पर पौधा लगाएं. अगर आपके पास सिंचाई की सुविधा है तो आप इसे मार्च और अप्रैल में भी लगा सकते है.
महिला किसान हितेश चौधरी बताती हैं कि प्राकृतिक खेती ने हमारे जीवन और आजीविका में सकारात्मक बदलाव लाया है. हमारा खर्च कम हो गया है क्योंकि हमें बाजार से कुछ भी नहीं खरीदना पड़ता है. हम ‘देसी’ गाय के मूत्र और गोबर का उपयोग करके खेत में ही सभी इनपुट बनाते हैं. वहीं गाय के गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद भी हम लोग तैयार कर ताइवान पिंक अमरूद की बागवानी कर रहे है.
वर्तमान समय में 1,000 किसान उनके एफपीओ से जुड़े हैं. वहीं 200 के करीब महिला किसान भी शामिल हैं. हितेश खेती के साथ प्राकृतिक रूप से तैयार कई प्रोडक्ट बनाकर एफपीओ के जरिए बेच रही हैं. वह अन्य किसानों को भी ताइवान पिंक अमरूद की खेती की ओर प्रेरित कर रही हैं.
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