Teak Farming: Covid-19 में छूटी नौकरी तो शुरू की सागवान की खेती और नर्सरी...खड़ा किया खुद का ब्रांड

Teak Farming: Covid-19 में छूटी नौकरी तो शुरू की सागवान की खेती और नर्सरी...खड़ा किया खुद का ब्रांड

होशियारपुर के धूत कलां गांव के किसान हरविंदर सिंह घुम्मन का ब्रांड "वेदिक हिल्स" पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर में सागवान (Teak) की खेती और नर्सरी विकास का पर्याय बन चुका है.

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महामारी में छूटी नौकरी तो शुरू की सागवान की खेती और नर्सरी...खड़ा किया खुद का ब्रांड Harwinder Ghumman (Photo: Facebook/@Vedic Hills)

कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत से लोगों की जिंदगी एकदम बदल गई. किसी ने अपनों को खोया तो बहुतों का रोजगार छिन गया. इन हालातों में बहुत से लोग हताश हो गए,तो कुछ मिसाल बने. बहुत से लोगों न अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की. ऐसे ही लोगों में एक हैं होशियारपुर के धूत कलां गांव के किसान हरविंदर सिंह घुम्मन. आज उनका ब्रांड "वेदिक हिल्स" पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर में सागवान (Teak) की खेती और नर्सरी विकास का पर्याय बन चुका है. 

नौकरी छूटी तो रखी अपनी नर्सरी की नींव 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के दौरान जिस प्राइवेट कंपनी में हरविंदर काम करते थे, वह बंद हो गई. लेकिन किस्मत ने उन्हें एक नया रास्ता दिखाया. जिन किसानों को वे पहले पौधे सप्लाई करते थे, उन्होंने ही सीधे कॉल करना शुरू कर दिया.
हरविंदर का कहना है कि मेरे पास किसानों का नेटवर्क और अनुभव दोनों था, बस हिम्मत की ज़रूरत थी. सिर्फ एक कनाल ज़मीन से शुरू हुई उनकी नर्सरी आज 5.5 कनाल में फैली है. उनका Vedic Hills ब्रांड आज पंजाब और इसके बाहर भी मशहूर है.

सागवान की दुनिया में "डॉ. साहब"

हरविंदर को किसान प्यार से “डॉ. साहब” कहते हैं. उन्होंने रेड बर्मा टीक (Myanmar Teak) को बढ़ावा दिया है, जिसे सागवान की सबसे बेहतरीन प्रजाति माना जाता है.उन्होंने शुरुआती दौर में बेंगलुरु से 5,000 पौधे मंगवाए और आधुनिक तकनीक से उनका प्रचार किया. हालांकि, उनके पास कोई टिश्यू कल्चर लैब नहीं है, फिर भी उन्होंने क्लोनिंग तकनीक अपनाई, जिससे पौधे 100% मातृ पौधे के गुण लेकर तैयार होते हैं.

पंजाब की धरती पर उगाया सागवान

एक समय था जब सागवान की खेती को पंजाब में असंभव माना जाता था. लेकिन हरविंदर की मेहनत ने ये धारणा बदल दी. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 

  • 1 एकड़ में 500 पौधे लगाए जा सकते हैं.
  • प्रति पौधा लागत लगभग 100 रुपये और कुल खर्च 60,000 रुपये तक आता है.
  • 12 साल में एक पेड़ से लगभग 15 क्यूबिक फीट लकड़ी मिलती है.
  • आज रेड बर्मा सागवान की कीमत 8,000 रुपये से 9,000 रुपये प्रति क्यूबिक फीट तक है.
  • एक एकड़ में 500 पेड़, और 12 साल में 1.5 करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये तक की कमाई.

उनका कहना है कि यह किसानों के लिए एक फिक्स्ड डिपॉज़िट है. 

कम खर्च, ज़्यादा मुनाफ़ा

पारंपरिक गेहूं और धान की खेती में जहां एक किसान को 80,000–85,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की आमदनी होती है, वहीं सागवान 12 साल में उससे 20 गुना तक ज़्यादा लाभ देता है. पूरे 12 साल की देखभाल में कुल खर्च 2 लाख रुपये से भी कम आता है.

सागवान की सही देखभाल

हरविंदर किसानों को सटीक तकनीक बताते हैं:

  • सागवान सभी मिट्टी में उग सकता है, सिर्फ जलभराव वाली ज़मीन छोड़कर.
  • रेतीली मिट्टी में हफ़्ते में एक बार सिंचाई और दोमट मिट्टी में महीने में एक बार.
  • पौधारोपण का सही समय: फरवरी मध्य से अगस्त.
  • पहले 2×2 फीट के गड्ढे बनाकर उसमें गोबर की खाद, एनपीके, फफूंदनाशक और एंटी-टर्माइट का उपयोग.
  • शुरुआती तीन साल में पेड़ ऊंचाई पाता है, उसके बाद 7–9 साल में चौड़ाई बढ़ाता है.
  • 12 साल में पेड़ की ऊंचाई 45-50 फीट और तना 36 इंच मोटा हो जाता है.

किसानों के लिए रोज़गार और उम्मीद

आज Vedic Hills से हरविंदर हर साल 20,000 पौधे बेचते हैं और करीब 14–15 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफ़ा कमाते हैं. अब तक वे 50,000 पौधे सप्लाई कर चुके हैं और जल्द ही 1 लाख पौधे वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखते हैं. उनकी नर्सरी से 5-6 लोगों को सालभर रोज़गार मिलता है.

हरविंदर किसानों को केवल पौधे ही नहीं देते, बल्कि उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन भी देते हैं. उनका YouTube चैनल "Vedic Hills" किसानों में बेहद लोकप्रिय है, जहां वे सागवान की खेती पर ट्रेनिंग और टिप्स देते हैं. आज पंजाब के लगभग हर ज़िले में उनके पौधे लगाए जा चुके हैं. हरविंदर का सपना है कि छोटे किसान भी खेत की चारदीवारी पर 150 पौधे लगाएं, जिससे 12 साल में 30 लाख से 45 लाख की अतिरिक्त आमदनी हो.

हरविंदर सिंह घुम्मन ने दिखा दिया है कि नवाचार, सही तकनीक और मेहनत से कोई भी असंभव दिखने वाली खेती सोने की फसल बन सकती है.

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