पहले गांव वाले उड़ाते थे मजाक, अब परवल उगाकर करोड़पति बना गोरखपुर का किसान, पढ़ें सागर के संघर्ष की कहानी

पहले गांव वाले उड़ाते थे मजाक, अब परवल उगाकर करोड़पति बना गोरखपुर का किसान, पढ़ें सागर के संघर्ष की कहानी

Success Story: किसान सागर कहते हैं कि परवल की खेती में कम पानी की जरूरत होती है. अगस्त-सितंबर में बुवाई और अक्टूबर-नवंबर से फसल की शुरुआत हो जाती है. जबकि मार्च से उत्पादन चरम पर होता है. परवल की खेती के दौरान समय-समय पर सिंचाई करना और जैविक कीटनाशक का प्रयोग आवश्यक होता है.

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पहले गांव वाले उड़ाते थे मजाक, अब परवल उगाकर करोड़पति बना गोरखपुर का किसान, पढ़ें सागर के संघर्ष की कहानी गोरखपुर जिले के चौरीचौरा तहसील के पुरनाहा गांव के किसान सागर यादव

यह कहानी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरीचौरा तहसील के पुरनाहा गांव के एक किसान सागर यादव के संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास पर आधारित है, जो दूसरों को भी प्रेरित करती है कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानें, वहीं इन मुश्किलों ने ही उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी और सागर यादव ने परवल की खेती में एक मिसाल कायम किया है. उनकी इस सफलता में सरकारी योजनाओं का बड़ा योगदान रहा है. वर्ष 2010 में एक एकड़ से परवल की खेती की शुरुआत करने वाले किसान सागर यादव अब तक 1 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं. 

गांव वाले मेरा मजाक उड़ाते थे और हम अपमान सहते रहे...

इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में पुरनाहा गांव के किसान सागर यादव ने बताया कि शुरुआत में पांच साल तक सागर अकेले परवल की खेती करते रहे. गांव वाले मेरा मजाक उड़ाते थे और हम अपमान सहन करते रहे. लेकिन वक्त के साथ समय ने साथ दिया और परवल की खेती का दायरा साल दर साल बढ़ता चला गया. नतीजा आज ऐसे हैं कि हमारे गांव में 400 से ज्यादा लोग परवल की खेती कर रहे है. चौरीचौरा के ब्रह्मपुर ब्लॉक के निवासी सागर बताते हैं कि आज हमारे छोटे से पुरनाहा गांव में 21 ट्रैक्टर है. यहां बड़े पैमाने में 6 गांव के लोग अब परवल की खेती से हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं.

उन्होंने आगे बताया कि पिछले साल 7 एकड़ से उन्होंने 31 लाख रुपये का परवल बेचा था. इस साल 9 एकड़ में उन्होंने 2300 बोरा परवल बेचकर लगभग 20 लाख रुपये की कमाई की है. क्योंकि इस साल मार्केट बहुत डाउन था. कुल मिलाकर 9 एकड़ में 12 से 18 क्विंटल परवल का उत्पादन हो रहा है. 

अब तक 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई

पुरनाहा गांव के किसान सागर यादव ने बताया कि अब करीब 6 गांवों के 80% किसान परवल की खेती अपना चुके है. आज हमारे पास खुद का दो मिनी पिकअप गाड़ी मौजूद है, जिससे परवाल गोरखपुर की मंडी में बेचने के भेजा जाता है. वहीं सब्जी के व्यापारी हमारे खेत से पूरा माल खरीद लेते है. उन्होंने बताया कि इस साल 6 गाड़ी परवल मंडी में बेचने के लिए भेज चुके है. वहीं खर्च और कमाई की बात पर सागर ने बताया कि अब तक कुल 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय हो चुकी है. आने वाले दिनों में कमाई का आंकड़ा और बढ़ सकता है.

जैविक कीटनाशक का प्रयोग आवश्यक

किसान सागर कहते हैं कि परवल की खेती में कम पानी की जरूरत होती है. अगस्त-सितंबर में बुवाई और अक्टूबर-नवंबर से फसल की शुरुआत हो जाती है. जबकि मार्च से उत्पादन चरम पर होता है. परवल की खेती के दौरान समय-समय पर सिंचाई करना और जैविक कीटनाशक का प्रयोग आवश्यक होता है. जैविक तरीके से खेती करने से उत्पादन बेहतर होता है. फल का स्वाद भी अच्छा बना रहता है.

गोरखपुर में परवल की खेती किसानों के लिए वरदान

उन्होंने बताया कि सही तकनीक से परवल की खेती किया जाए तो बंपर उत्पादन होगा. परवल की उन्नत किस्में जैसे स्वर्ण रेखा, बनारसी, पूसा हाइब्रिड और स्वर्ण रेखा-2 खेती में बेहद लाभकारी साबित हो रही हैं. इन प्रजातियों की पैदावार अधिक होती है और बाजार में ऊंचे दाम मिलते हैं. आज गोरखपुर जिले में परवल की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

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