
हमारे देश की सबसे बड़ी आबादी डायरेक्ट-इनडायरेक्ट एग्रीकल्चर से जुड़ी हुई है. देश के अधिकांश किसान अपनी आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी किसान हुआ हैं जो खेती के क्षेत्र में नई इबारत लिख रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के किसान की है. जिन्होंने खेती के क्षेत्र में उतर पर इसे गंभीरता से लिया और सभी बारीकियों को सीखा. आज वे सालाना 25-30 लाख रुपये की बचत कर रहे हैं. आइए जान लेते हैं कि उन्होंने किसानतक को अपने इस सफर से जुड़ी क्या जानकारी दी?
शाजापुर जिले के खोकर ब्लाक में एक छोटा सा गांव है खरदोन कलां, इस गांव में रहने वाले किसान जयनारायण पाटीदार हैं. वे बताते हैं कि उनकी ज्वाइंट फैमिली है और उनके पास खेती की 18 हेक्टेयर जमीन है. जय नारायण लगभग पिछले 25 सालों से खेती करते आ रहे हैं लेकिन पिछले सालों में इन्होंने कुछ खास प्रयोग किए जिसके बाद उनकी किस्मत को पंख लग गए. आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या खास प्रयोग किया.
खेती-बाड़ी से जुड़ने के बाद किसान जय नारायण ने ICAR भोपाल में ट्रेनिंग ली. जहां उन्हें खेती के साथ पशुपालन और बागवानी का एकीकृत मॉडल अपनाया. पशुपालन करते हुए उन्हें ना सिर्फ साइड इनकम मिली बल्कि पशुओं के गोबर से वे जैविक खाद भी बनाने लगे. ये खाद खेतों में छिड़कने के अलावा बेची भी जाती है. इसके अलावा बागवानी फसलें इनकी कमाई का प्रमुख स्रोत है.
किसान जयनारायण ने किसानतक से बातचीत के दौरान बताया कि वे लगभग दो हेक्टेयर जमीन पर बागवानी फसलें उगाते हैं. वे मुख्यरूप से अमरूद और संतरे की बागवानी करते हैं. संतरे की खेती के लिए उन्होंने खासतौर पर ICAR नागपुर से ट्रेनिंग भी ली. उन्होंने बताया कि हर साल उनके खेत से 500-700 क्विंटल संतरे की पैदावार मिलती है. इसी तरह अमरूद से भी कमाई होती है.
जयनारायण लगभग पिछले 25 सालों से 18 हेक्टेयर जमीन में खेती कर रहे हैं. वे केमिकल खाद और पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल करने से बचते हैं और वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग अधिक करते हैं. जयनारायण बताते हैं कि हर साल वे खेती से 50 लाख रुपये का रेवेन्यू जनरेट करते हैं लेकिन खेती में आने वाली कुल लागत लगभग 50 फीसदी तक होती है. इस हिसाब से वे हर साल 25-30 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं.
खेती के क्षेत्र में लगातार नवाचार करने वाले किसान जयनारायण ने एग्रीकल्चर फील्ड में खूब कीर्तिमान रच चुके हैं. कृषि मेलों, प्रदर्शनी व तकनीकी कार्यक्रमों में लगातार सक्रिय रहते हैं. इसके अलावा एग्रीकल्चर कॉलेज सीहोर के छात्रों को समय-समय पर ट्रेनिंग भी दे चुके हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गेहूं का सर्वाधिक उत्पाद करने के लिए अवार्ड दिया था, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की ओर से भी उन्हें कृषि गौरव पुरस्कार मिला है. इसके अलावा कई किसान कार्यक्रम में समाचार पत्रिका छापने वाली कंपनियां उन्हें आइडल किसान बताते हुए सम्मानित कर चुकी हैं.
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