12 की उम्र में शादी और 26 की उम्र में पति की मृत्यु होने के बाद से कभी दिन में सोई नहीं हूं, क्योंकि पूरा दिन खेतों में ही गुजरा है. आज इसी खेती के दम पर बच्चों का पालन पोषण के साथ जिले में अपनी एक अलग पहचान बनाई हूं. उम्र करीब 65 के आसपास है, फिर भी सुबह से लेकर शाम तक खेतों में काम करती हूं. पति और ससुर की कमाई हुई जमीन को बचाने के लिए महिला किसान बन गई. किसान तक से यह बातें करते हुए महिला किसान अनीता की आंखें भर आती हैं. वैशाली जिले की रहने वाली अनीता पिछले 45 साल से खेती कर रही हैं और इसकी बदौलत एक अच्छी कमाई कर रही हैं. सफल महिला किसान अनीता अपने खेतों में सब्जी, धान, गेहूं और मोटे अनाजों की खेती करती हैं और उसे बाजार में बेचने का भी काम करती हैं.
वैशाली जिला के हाजीपुर की मीनापुर गांव की रहने वाली अनीता कुमारी 65 की उम्र में भी सुबह और शाम मिलाकर करीब आठ घंटे खेतों में काम करती हैं. करीब 3 बीघा में खेती के बदौलत सालाना 4 से 5 लाख रुपए तक कर कमा लेती हैं.
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किसान तक से बातचीत करते हुए अनीता कुमारी कहती हैं कि उनके पति गोभी के बीज का बिजनेस करते थे. जब उनकी मृत्यु हो गई, तो पूरा बिजनेस चौपट हो गया. उस समय रिश्तेदारों ने कहा कि तीन बच्चों का पालन पोषण के लिए जमीन बेचना होगा. लेकिन उन्होंने जमीन बेचने की जगह उससे अन्न उपजाकर एक बेटा और दो बेटियों का पालन पोषण करने का निश्चय किया. आगे अनीता कहती हैं कि उस समय घर से बाहर निकलकर महिलाओं के लिए खेती करना शर्म की बात थी. फिर भी सिर पर घूंघट डालकर खेतों में काम करना शुरू किया. पहले जो लोग हंसते थे, आज उनकी पत्नियां खेतों में काम करती हैं. अब मैं उन लोगों पर हस्ती हूं. वह बताती हैं कि एक बीघा में केवल सब्जी की खेती करती हूं और इसके बदौलत सालाना एक लाख रुपए तक की कमाई कर लेती हूं. इसके साथ ही 2 बीघा में मोटे अनाजों की खेती करती हूं.
कृषि के क्षेत्र में नये बदलाव हो रहे हैं. वहीं महिला किसान समूह के जरिए एक अपनी आर्थिक पक्ष को मजबूत कर रही हैं. इसी क्रम में अनीता भी महिला खाद सुरक्षा समूह से जुड़कर मोटे अनाज का बिजनेस करती हैं. अनीता कहती हैं कि वह सरकारी मेले में जाती हैं. वहां मोटे अनाज से बने अलग-अलग उत्पाद बेचती हैं. साथ ही मोटे अनाजों को भी 250 ग्राम से लेकर 2 किलो तक का पैकेट बनाकर बेचती हैं. आगे वह कहती हैं कि कुछ मोटे अनाज की खेती खुद करती हैं और कुछ बाजार से खरीदकर लाती हैं. 30 से 50 प्रतिशत फायदा रखकर बेचती हैं. केवल मेले से सालाना 3 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं.
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65 साल की उम्र में अनीता आज भी खेतों में काम करती हैं. यह कहती हैं कि खेती शुरू बच्चों के पेट भरने से किया था. लेकिन आज इसी खेती ने कई पुरस्कार दिलाकर राज्य स्तर पर एक अलग पहचान भी दिलवाया है. आज की महिलाओं से यही कहना है कि अपना काम करने में किसी तरह का संकोच न करें. सरकार महिलाओं को मौका दे रही है, ताकि वह घर की चारदीवारी से बाहर निकल सके तो उसका फायदा उठाने की जरूरत है.
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