हिमाचल प्रदेश की शीत मरुभूमि कहे जाने वाले लाहौल स्पीति जिला के स्पीति उप मंडल के लिदांग गांव की यशी डोलमा ने किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता खोजा है. उनके प्राकृतिक खेती की दिशा में उठाए गए प्रयास रंग लाने लगे हैं. यशी डोलमा ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे और पढ़ाई करना चाहती थीं. वे पढ़ाई में ही अपना करियर बनाना चाह रही थीं ताकि अपने भविष्य को आर्थिक तौर से मजबूत कर सकें. स्पीति के इस विकट क्षेत्र में जहां कृषि में साल में सिर्फ एक ही फसल ली जा सकती है, इसमें उन्हें कोई फायदे वाली संभावना नजर नहीं आ रही थी.
इसी बीच उनका संपर्क एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी {आत्मा } से हुआ. उनके लगन को देखते हुए आत्मा परियोजना की और से उन्हें हिमाचल के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कुरुक्षेत्र स्थित फार्म का एक्सपोजर विजिट करवाया गया.
डोलमा ने कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के गुर सीखे. इसके बाद प्राकृतिक खेती के तकनीक का बारीकी से इस्तेमाल कर अपने 20 बीघा जमीन में नए तरह की खेती शुरू की. सबसे पहले उन्होंने सब्जियों की खेती को आजमाया जिसमें उन्हें अच्छे रिजल्ट मिलने लगे. इसकी सफलता देखकर अन्य ग्रामीण महिलाएं भी उनके संपर्क में आने लगीं. इसका नतीजा है कि आज उनके पास करीब 80 बीघा भूमि में 20 महिलाओं का एक समूह सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेत कर आत्मनिर्भर बनने के रस्ते पर है.
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यशी अपनी प्राकृतिक खेती में मुख्य तौर पर सब्जियां उगा रही हैं. उनको इसके लिए कोरोना काल में काफी प्रोत्साहन मिला क्योंकि इस दौर में सब्जियां ऐसे दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचाना नामुमकिन हो गया था. इसी कड़ी में उन्होंने बिना रसायन युक्त सब्जियों और फसलों को लोगों तक पहुंचाना शुरू किया. आज उनके प्रयासों को आसपास के क्षेत्र में पहचान मिली है. सरकारी एजेंसियां भी उन्हें प्रोत्साहित करने में जुटी हैं.
यशी डोलमा का मानना है कि समूचे स्पीति क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि लोग अपनी आर्थिकी को वैकल्पिक खेती के दम पर सुधार कर बेहतर जीवन जी सकें. इसके साथ-साथ वे मौसमी सब्जियां और अन्य फैसलें तैयार कर सकें. करीब 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिदांग गांव धीरे-धीरे जैविक खेती को अपनाकर पूरे क्षेत्र को स्वरोजगार की राह दिखाने लगा है. इससे जैविक कृषि को भी बढ़ावा मिल रहा है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सब्जियों को मंडी पहुंचाने में पहले हफ्तों लगते थे. इस इलाके के कर्मचारियों और आम लोगो को ताज़ी सब्जियां खाना सपना था, लेकिन यशी की पहल ने लोगों की मुश्किलें आसान कर दी हैं.
(विशेषर नेगी की रिपोर्ट)
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