मूली कच्ची सब्जी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उगाई जाने वाली सब्जी है. इसकी खेती कंद सब्जी के रूप में की जाती है. इसका इस्तेमाल लोग कच्चे सलाद, सब्जी, साग या अचार बनाने के लिए करते हैं. देश में मूली की खेती पूरे साल की जाती है क्योंकि मूली की फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है. बीते कुछ सालों में मूली की मांग और दाम में काफी इजाफा हुआ है जिससे किसानों की रुचि मूली की खेती की ओर बढ़ी है. अब मूली के दाम भी अन्य फसलों की तरह बाजार में अच्छे मिलते हैं.
मूली की खेती करने का सही समय अगस्त या सितंबर महीना होता है. आइए जानते हैं भारत में उगाई जाने वाली पांच मशहूर मूली की किस्मों के बारे में जिनकी खेती कर किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
अगर आप सितंबर महीने में मूली की खेती करना चाहते हैं तो आप मूली की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पूसा हिमानी, जापानी सफेद, पूसा रेशमी, रैपिड रेड व्हाइट टिपड और पंजाब पसंद आदि किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें:- Cane Sugar: क्या होती है केन शुगर, कैसे है चीनी से अलग, जान लें पूरी बात
पूसा हिमानी:- मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी और मोटी होती हैं. इसका स्वाद हल्का तीखा होता है, लेकिन ये किस्म खाने में स्वादिष्ट होती है. ये किस्म बुवाई के 50 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मूली इस किस्म की औसत पैदावार 320 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
जापानी सफेद:- मूली की इस किस्म की जड़ें सफेद होती हैं. ये किस्म बेलनाकर, कम तीखी, मुलायम और चिकनी होती है. यह किस्म बुवाई से 45 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 250 से लेकर 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
पूसा रेशमी:- मूली की इस किस्म की जड़ें 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है. यह समान रूप से चिकनी और हल्की तीखी होती है. यह किस्म बुवाई से करीब 55 से लेकर 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से करीब 315 से लेकर 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार होती है.
रैपिड रेड व्हाइट टिपड:- मूली की इस किस्म का छिलका लाल रंग का होता है. इसकी जड़ें छोटे आकार की होती हैं. इनका गूदा सफेद रंग का होता है. ये स्वाद में थोड़ी मीठी होती है. इस किस्म की मूली बुवाई के करीब 25 से 30 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
पंजाब पसंद:- यह मूली की जल्दी पकने वाली किस्म है. इस किस्म की खास बात यह है कि इसकी बुवाई किसी भी मौसम में की जा सकती है. इसकी जड़ें लंबी, रंग सफेद होती है. ये बुवाई के 45 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है.
मूली की खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है. मूली की बुवाई से पहले खेत को भली भांति तैयार कर लेना चाहिए. इसमें खेत की पांच से छह बार जुताई कर लेनी चाहिए. मूली की फसल के लिए गहरी जुताई की आवश्यकता होती है क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में गहरी जाती हैं. गहरी जुताई के लिए ट्रैक्टर या मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई की जानी चाहिए. उसके बाद मूली के बीजों को तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए ताकि बीजों का जमाव ठीक से हो सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today