
बिहार में कई ऐसे किसान हैं जो आज लीज की (किराए पर) जमीन पर खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. साथ ही खेती को रोज के कमाई का जरिया कैसे बनाया जा सके, इसको लेकर हर रोज नया प्रयोग कर रहे हैं. एक ऐसे ही किसान हैं बिहार की राजधानी पटना से करीब 33 किलोमीटर दूर बिहटा के वीरेंद्र सिंह. ये किराये की जमीन पर खेती कर रहे हैं. हाल के समय में सालाना तीन से चार लाख तक की कमाई कर रहें हैं. 69 साल की उम्र में किसान वीरेंद्र सिंह खेती में कम कमाई होने के बाद भी इससे दूरी नहीं बना रहे हैं. वे कहते हैं कि पहले कोरोना के दौरान पपीता और दूसरे कोरोना के दौरान खरबूज की खेती ने कमर तोड़ दी. फिर भी हार नहीं मानते हुए इस बार करीब 16 बीघा में कागजी नींबू की खेती से वे बेहतर कमाई की उम्मीद कर रहे हैं.
वीरेंद्र सिंह भोजपुर जिले के रहने वाले हैं. लेकिन वे पटना जिला के बिहटा शहर से तीन किलोमीटर दूर किशुनपुर गांव में एक लाख रुपये सालाना रेट पर 16 बीघा जमीन किराये पर लिए हुए हैं. इस किराये की जमीन पर वे आधुनिक विधि से खेती करते हुए मजदूरों की मजदूरी और सभी खर्च काटकर सालाना करीब तीन से चार लाख के बीच में कमाई कर लेते हैं. साथ ही खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय से भी कमाई करते हैं.
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किसान तक से बातचीत के दौरान वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि उन्होंने 2019 में सोलह बीघा में पपीता की खेती की. फसल बहुत अच्छा हुआ. लेकिन कोविड के चलते बेहतर बाजार नहीं होने से कच्चा पपीता ही बेचना पड़ा. सोलह बीघा में सभी खर्च काटकर करीब ढाई से तीन लाख तक की कमाई हुई. वहीं अगली बार बॉबी खरबूज की खेती की. लेकिन इस दौरान भी कोविड का प्रभाव होने की वजह से खेत में ही करीब अस्सी प्रतिशत तक फसल सड़ गई. फिर भी डेढ़ से दो लाख तक की कमाई हुई.
जिला कृषि पदाधिकारी पटना के दिशा निर्देश पर इस बार सोलह बीघे में नींबू की खेती शुरू की है. इसकी खेती करने वाले किसानों और वैज्ञानिकों के अनुसार कागजी नींबू की खेती से प्रति बीघा डेढ़ लाख तक की कमाई बीस साल तक ली जा सकती है. इसकी खेती में प्रति बीघा पचास से साठ हजार तक खर्च आएगा. वहीं अभी तक की खेती में मिले अनुभव के अनुसार नींबू की खेती को बेहतर देखते हुए हाल के समय में एक बीघा में खेती शुरू की है, जो आगे चलकर पूरे सोलह बीघा में की जाएगी.
प्रगतिशील किसान वीरेंद्र सिंह करीब सोलह बीघा जमीन में हाल के समय में सरसों, सब्जी,नींबू सहित मटर की खेती करते हैं. इन सभी फसलों की सिंचाई ड्रिप इरिगेशन की मदद से करते हैं. वे कहते हैं कि वे इस तकनीक की मदद से दो घंटे में सोलह बीघा खेत की सिंचाई आसानी से कर लेते हैं जबकि परंपरागत तरीके से करना होता तो कई दिन लग जाते.
किसान वीरेंद्र सिंह खेतों में अब ड्रोन की मदद से दवा का छिड़काव करते हैं. इसका लाभ ये है कि दस लीटर पानी में करीब दस मिनट में एक एकड़ तक दवा का छिड़काव कर देते हैं. इतने ही एरिया में हाथ वाली मशीन (15 लीटर वाली टंकी) से दवा छिड़काव करने के दौरान करीब 09 टंकी पानी लग जाता है. उन्होंने 09 एकड़ जमीन में ड्रोन की मदद से दवा का छिड़काव करवाया. उसके लिए करीब चार हजार रुपये दिए थे जबकि मजदूर से छिड़कने पर 06 से 07 हजार रुपये देने पड़ते हैं. ड्रोन से दवा छिड़कने का फायदा ये है कि सरसों के उत्पादन के साथ-साथ तेल की प्रतिशत मात्रा भी बढ़ गई है.
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