21वीं सदी की महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुष समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. भले ही खेती ही क्यों न हो. आज आधुनिकता के युग में बिहार की महिलाएं आधुनिक तरीके से खेती कर रही हैं. इसकी बदौलत अपने प्रदेश और देश में अलग पहचान बना रही हैं. समय की मांग को देखते हुए महिला किसान खेती में नए प्रयोग के जरिये अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं. बिहार की एक ऐसी ही महिला किसान विद्या रानी हैं जो परंपरागत फसलों के साथ मोटे अनाज, सब्जी, मत्स्य, पशुपालन सहित सब्जी की खेती से अच्छी कमाई कर रही हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को भी कृषि के गुर सीखा रही हैं.
भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड के खेसरहिया गांव निवासी विद्यारानी सिंह करीब 11 एकड़ जमीन में खेती करती हैं. पहले उनके पति खेती करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने खेती छोड़ दी. फिर विद्यारानी ने अपने खेत से अनाज उपजाने का निर्णय लिया. आज से करीब 23 साल पहले खेती से नाता जोड़ने वाली भोजपुर जिले की महिला किसान पिछले दो साल से मोटे अनाज की खेती कर रही हैं. वहीं साल के करीब छह से सात लाख तक की कमाई कर रही हैं. लेकिन घर की चारदीवारी से खेत की पगडंडियों तक का सफर इतना आसान भी नहीं था.
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किसान तक से बातचीत के दौरान विद्यारानी सिंह कहती हैं कि खेती में आने का सफर इतना भी आसान नहीं था. सास ससुर के देहांत के बाद घर में खेती बंद हो गई थी. पति पेशे से वकील हैं जिसके चलते वे खेती में ज्यादा समय नहीं दे पाते थे. इससे सब्जी से लेकर अनाज सब कुछ बाजार से खरीदना पड़ता था. फिर भी अच्छी क्वालिटी के अनाज नहीं मिल पाते थे. इन सभी समस्याओं को देखते हुए सन 2000 में खेती करना शुरू किया. आज अपने खेत में धान, मक्का, गेहूं सहित दो साल से मोटे अनाज की खेती में बाजरा, ज्वार, मक्का, चीना सहित मत्स्य, पशुपालन के अलावा सब्जी की खेती कर रही हैं. इससे सालाना छह से सात लाख तक की कमाई कर रही हैं. वे कहती हैं कि खेती अगर दिल से की जाए तो वह आपकी कमाई का मार्ग खोल देगी. बस इसे दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ करने की जरूरत है.
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कोईलवर प्रखंड के खेसरहिया गांव के चंद्र प्रकाश सिंह की 56 वर्षीय पत्नी विद्यारानी सिंह की पहचान उनके कार्यों से हो रही है. इसी का नतीजा है कि कृषि से जुड़े कई पुरस्कार से वे सम्मानित हो चुकी हैं. 23 साल खेती के सफर को लेकर वे कहती हैं कि खुद ट्रैक्टर से खेत की जुताई करती हैं. खेती के लिए किसी अन्य लोगों पर निर्भर नहीं रहती हैं. वहीं अब खेती में इनके बेटे भी साथ दे रहे हैं. साथ ही गांव की अन्य महिलाएं भी इनसे प्रभावित होकर खेती में रुचि दिखाना शुरू कर चुकी हैं. आगे वे बताती हैं कि शादी के बाद जहां खेती में कदम तो रखा ही है, इसके साथ ही शादी के बाद मैट्रिक, इंटर और स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. आज विद्या रानी गांव की अन्य महिलाओं के लिए नजीर पेश कर रही हैं.
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