
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले मनीष दीक्षित करीब 11 साल पहले बिहार के बच्चों को टेक्नोलॉजी का पाठ पढ़ाने के लिए पटना आए थे. लेकिन आज ये बिहार में कृषि ड्रोन बना रहे हैं. ये सूबे के पहले युवा उद्यमी हैं, जो अपना स्टार्टअप का काम ड्रोन के क्षेत्र में कर रहें हैं. अपने दो साल के सफर में वे कृषि के क्षेत्र में कई तरह के ड्रोन बना चुके हैं. अब वे भारत का पहला स्वदेशी तीस लीटर क्षमता वाला कृषि ड्रोन लांच करने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही टैक्सी ड्रोन बनाने के काम में लगे हुए हैं.
मनीष दीक्षित कहते हैं कि ऐसा पहली बार है, जब बिहार राज्य में बने ड्रोन की मांग देश सहित विदेशों में भी है. वहीं आने वाले समय में बिहार से सबसे अधिक ड्रोन पायलट तैयार करने की योजना है. इनके अनुसार आधुनिक खेती की कल्पना ड्रोन के बिना संभव नहीं है क्योंकि मजदूरों की कमी को देखते हुए ये ड्रोन खेती के क्षेत्र में क्रांति लाने वाला है. वहीं अब बिहार से मजदूर नहीं बल्कि यहां से ड्रोन के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी दूसरे राज्यों में जाएगी.
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मनीष दीक्षित के अनुसार वे बिहार के पहले युवा उद्यमी हैं जिन्होंने 2022 में ड्रोन बनाने वाली स्टार्टअप कंपनी स्थापित की है. किसान तक से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 2012 में ग्वालियर से पटना 15000 रुपये की सैलरी पर Appin Technology Lab में नौकरी करने आए थे. लेकिन 06 महीना नौकरी करने बाद एक विद्यार्थी के द्वारा बनाए गए कृषि ड्रोन से प्रभावित होकर इस क्षेत्र में कदम रखा. इन्होंने 2022 में वनामिका एयरोस्पेस नाम से ड्रोन बनाने वाली स्टार्टअप कंपनी स्थापित की. आगे वे कहते हैं कि पिछले आठ महीने के दौरान 32 करोड़ रुपये का ड्रोन ऑर्डर हुआ है. वहीं आज दोनों कंपनी का वैल्यू 100 करोड़ तक हो गया है.
मनीष दीक्षित देश का पहला कृषि ड्रोन आने वाले समय में लांच करने जा रहे हैं जिसकी क्षमता तीस लीटर होगी. इसके बारे में बताते हुए कहते हैं कि अभी तक देश में दस लीटर तक का ही कृषि ड्रोन है. लेकिन इस ड्रोन की क्षमता तीस लीटर तक है. यह एक बार में तीन एकड़ तक दवा का छिड़काव कर सकता है. वहीं पूरे दिन में 80 एकड़ तक दवा का छिड़काव करेगा जो क़रीब 20 मजदूर 20 दिन में कर पाएंगे.
किसान तक से बातचीत के क्रम में दीक्षित ने कहा कि भारत सरकार की सफल योजनाओं के जरिये करीब तीन साल के दौरान ड्रोन का बाजार 08 मिलियन तक पहुंच गया है. आगे वे कहते हैं कि आज बिहार के बने ड्रोन की मांग देश सहित विदेशों में हो रही है. वहीं आने वाले समय में ड्रोन कृषि वैज्ञानिक के तौर पर काम करेगा. इसके साथ ही अब बिहार से मजदूर नहीं, तकनीक दूसरे राज्य में जाएगी.
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