Urad ki Kheti: किसान समझदारी से यदि फसल की बुवाई करें तो खेती में भी खूब कमाई कर सकते हैं. बस उन्हें नई तकनीक अपनानी होगी. ऐसी फसलों का चुनाव करना होगा, जिनकी बाजार में मांग अच्छी रहती हो. इन्हें बेचकर वे ज्यादा कमाई कर सकते हैं. आज हम आपको छत्तीसगढ़ के कुछ किसानों की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जो उड़द की खेती कर खूब कमाई कर रहे हैं.
कर रहे अच्छी-खासी कमाई
जांजगीर चांपा जिले के किसान पहले धान की खेती करते थे. यहां के किसानों ने धान की फसल में अधिक लागत और पानी की समस्या को देखते हुए उड़द की बुवाई करने का निर्णय लिया. आज वे कम लागत में उड़द की खेती कर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. उड़द की फसल में धान की तरह पानी की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
...तो इसलिए धान की जगह उड़द की शुरू की खेती
सिरली गांव के किसान रघुनाथ राठौर ने बताया कि वह पहले धान की खेती करते थे. इसकी खेती में लागत अधिक और मेहनत अधिक तो लगता ही था पानी की भी अधिक जरूर पड़ती थी. वे काफी परेशान थे. उन्होंने अपनी समस्या कृषि विभाग के अधिकारियों को बताई. इन अधिकारियों की सलाह पर धान की जगह उड़द की खेती करने का फैसला किया. उन्होंने कृषि विभाग से अच्छी वैरायटी का बीज लेकर उड़द की खेती की.
इससे उन्हें कम लागत में अधिक आमदनी हुई. वह बताते हैं कि गत तीन सालों से उड़द की खेती वह कर रहे हैं. बीते साल 5 एकड़ 50 डिसमिल में उड़द की खेती की थी. एक अन्य किसान मस्तराम जायसवाल कहते हैं कि वे उन्होंने पिछले साल पांच एकड में उड़द की खेती की थी. इससे उन्हें काफी आमदनी हुई. किसान जगतराम भी 15 एकड़ में उड़द की खेती कर रहे हैं. इन किसानों ने बताया कि उड़द की खेती में आमदनी अधिक होते देख कई अन्य किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है.
कैसे करें उड़द की खेती
उड़द की खेती के लिए गर्मी का मौसम सही होता है. अप्रैल के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई स्टार्ट कर देनी चाहिए क्योंकि इसके विकास के समय 30 से 40 डिग्री का तापमान सही होता है. इस फसल के लिए हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. उड़द के लिए पीएच मान 7-8 के बीच वाली भूमि उपजाऊ होती है. उड़द की खेती करने से पहले दो-तीन बार हल चलाकर खेत को समतल करें. बारिश शुरू होने के पहले उड़द की बुवाई करने से पौधों की पैदावार अच्छी होती है.
पौधों से पौधों की दूरी रहनी चाहिए इतनी
उड़द की बुवाई एक लाइन में करनी चाहिए. एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बीज को भी कम से कम 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए. यह ध्यान रखें कि बुवाई के समय खेत में नमी जरूर हो. यदि नमी नहीं है तो सिंचाई कर सकते हैं.
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