कृषि क्षेत्र में अलग-अलग तरह के मुनाफा देने वाली फसल के प्रति अब किसान ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार भी बागवानी क्षेत्र में किसानों को खेती करने के लिए अनुदान दे रही है, जिससे कि उनकी आय में इजाफा हो सके. लखनऊ और बाराबंकी में किसानों के द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती से खूब मुनाफा कमाया जा रहा है. लखनऊ के कासिमपुर गांव के रहने वाले किसान आलोक वर्मा पिछले 5 सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. शुरुआत में इस खेती के प्रति लोगों का रुझान कम था. लेकिन, बढ़ रहे मुनाफे के चलते अब कई और किसान की खेती के उनके मॉडल का अनुकरण करके अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं.
दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी की 600 किस्म मौजूद हैंं. लेकिन, भारत में कुछ खास किस्म की खेती की की जा रही है. लखनऊ और बाराबंकी में दर्जनभर से ज्यादा किसानों के द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती की जाने लगी है. लखनऊ के कासिमपुर गांव के आलोक वर्मा पिछले 5 सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. उन्होंने किसान तक को बताया गेहूं और धान को छोड़कर वह पिछले कई सालों से अलग-अलग तरह की सब्जियां की खेती कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए उन्होंने ट्रेनिंग ली और फिर छोटे से खेत में हिमाचल से पौधे लाकर लगाया. पहले साल ही उन्हें अच्छा मुनाफा मिला. फिर वो बड़े क्षेत्रफल में खेती के लिए तैयार हुए. आज वह एक बीघे में स्ट्रॉबेरी की फसल उगा रहे हैं. उन्होंने उन्नत किस्म की स्ट्रॉबेरी लगाई है.
उन्होंने बताया कि एक बीघे में स्ट्रॉबेरी में लागत 2 से ढाई लाख रुपए तक आती है जिसमें पौधे और ड्रिप सिंचाई के लिए मल्चिंग और पाइप का खर्च शामिल होता है. वहीं 6 महीने में इस फसल से उन्हें 7 से ₹8 लाख की कमाई होती है. इस तरह देखा जाए तो लागत से 3 गुना का फायदा उन्हें मिलता है. बाजार में स्ट्रॉबेरी का दाम हमेशा अच्छा रहता है. इसलिए इसमें ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद कम होती है.
ये भी पढ़ें :किसानों के लिए फसल बेचना अब होगा आसान, देश में 100 डायरेक्ट खरीद सेंटर होंगे शुरू
स्ट्रॉबेरी की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इसके लिए दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है. वही मिट्टी का पीएच 5.5 से लेकर 6.5 तक बेहतर माना गया है. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान आलोक वर्मा बताते हैं, यह 6 महीने की ही यह फसल होती है. सितंबर के प्रथम सप्ताह में ही इस फसल की नर्सरी लगाई जाती है और अक्टूबर-नवंबर तक खेत में नर्सरी के पौधों को लगा दिया जाता है. 40 से 50 दिनों में इसकी पूरी फसल तैयार हो जाती है. एक एकड़ में तकरीबन 80 से 100 क्विंटल स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है.
स्ट्राबेरी का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है. यह फल विटामिन C एवं विटामिन A और K का काफी अच्छा स्रोत है. चिकित्सकों के अनुसार यह फल चेहरे की चमक और आँखो की रौशनी के साथ दांतों की चमक बढ़ाने का काम आते है. इनके आलवा इसमें केल्सियम, मैग्नीशियम फोलिक एसिड ,फास्फोरस ,पोटेशियम पाया जाता है. यह भी वजह है स्ट्राबेरी के फल बाजार में महंगी कीमतों पर बिकते हैं.
ये भी पढ़ें :
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today