हमारे देश में अभी भी खेतों की सिंचाई मानसून पर आधारित है. सिंचाई के साधन और पानी नहीं होने के कारण साल के अन्य महीनों में खेतों में कोई फसल नहीं होती. ऐसी ही स्थिति राजस्थान के धौलपुर जिले की है. बीहड़ के डांग क्षेत्र में वैसे तो खेती काफी कम है, लेकिन जितनी भी है, वहां मानसून पर आधारित फसलें ही होती हैं. लेकिन इस समस्या का कुछ हद तक समाधान किसानों ने निकाल लिया है. साथ ही कुछ सामाजिक संस्थान भी प्रायोगिक तौर पर सिंचाई के लिए फार्म पांड बना रहे हैं. सफल प्रयोग पर इसकी ट्रेनिंग गांव-गांव जाकर किसानों को भी दे रहे हैं.
ये भी पढ़ें - कड़ाके की ठंड से इंसान ही नहीं जानवर भी परेशान, शीतलहर से ऐसे करें पशुओं का बचाव, देखें वीडियो
ऐसा ही एक फार्म पॉन्ड जिले के सरमथुरा क्षेत्र में बनाया गया है. यहां मंजरी फाउंडेशन की ओर से एक बकरी रिसोर्स सेंटर चलाया जाता है. फाउंडेशन के कैंपस में बनाए इस फार्म पॉन्ड से यहां बकरियों के चारे के लिए उगाई नेपियर घास और एक खेत में उगाई सरसों की फसल की सिंचाई की जाती है. फाउंडेशन में प्रोजेक्ट एसोसिएट के तौर पर काम कर रहे राजेश कुमार इस फार्म पॉन्ड के बारे में किसान तक को विस्तार से बताते हैं. राजेश कहते हैं, “पॉन्ड बनाने से पहले यहां बारिश का पानी बेकार में बहकर निकल जाता था. हमने मंजरी कैंपस में जमीन के ढलान की ओर यह पॉन्ड बना दिया है. इससे बारिश का पानी यहां रुक जाता है. फार्म पॉन्ड के पानी से मानसून के पांच महीने बाद तक सिंचाई की जा सकती है. अगर पॉन्ड बड़ा हो तो सालभर खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. पॉन्ड के तल को जानबूझकर कच्चा रखा गया है ताकि यहां के भू-जल स्तर में भी सुधार हो.”
राजेश आगे बताते हैं कि इस पानी से हम कैंपस में बकरियों के लिए उगाई नेपियर घास, एक खेत में सरसों और कैंपस में लगे फूल और अन्य पौधों की सिंचाई हो जाती है. हमारे बकरी रिसोर्स सेंटर में फिलहाल 65 बकरियां हैं. इनके पीने के लिए पानी भी इसी पॉन्ड से लिया जाता है. इसके अलावा इस क्षेत्र में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकर मंगाए जाते हैं. फार्म पॉन्ड बनने से टैंकर की जरूरत कभी-कभी ही होती है. इससे संस्थान को आर्थिक रूप से भी फायदा हुआ.
खेतों में फार्म पॉन्ड बनाने के लिए राजस्थान सरकार भी सब्सिडी देती है. खेत तलाई नाम की इस योजना में राज्य सरकार किसानों को बरसात का पानी रोककर सिंचाई के काम में लेने पर यह सब्सिडी दी जाती है. इसके तहत लघु एवं सीमांत किसानों को लागत का 70 प्रतिशत या अधिकतम 73500 रुपए कच्चे फार्म पॉन्ड के लिए दिए जाते हैं.
इसके अलावा एक लाख पांच हजार रुपए प्लास्टिक लाइनिंग के लिए बतौर सब्सिडी दिए जाते हैं. वहीं अन्य श्रेणी के किसानों को फार्म पॉन्ड के लिए लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 63 हजार रुपए दिए जाते हैं. प्लास्टिक लाइनिंग के लिए 90 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है. योजना का लाभ तभी मिलेगा जब खेतों में न्यूनतम 400 घनमीटर क्षमता की खेत तलाई बनवाई गई हो.
ये भी पढ़ें - भारत जोड़ो यात्रा में किसानों की समस्या पर होगी चर्चा, राकेश टिकैत संग बात करेंगे राहुल गांधी
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today