कहते हैं किसी चीज को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ की जाए तो उसका फल जरूर मिलता है. इसी बात को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है बाड़मेर के किसान जेठाराम ने. आपको बता दें कि जेठाराम ने साल 2016 में अपने खेत में अनार की खेती शुरू की थी. स्थिति यह है कि अब यहां का अनार कलकत्ता, महाराष्ट्र, बांग्लादेश तक निर्यात किया जा रहा है.
राजस्थान की सीमा के पास स्थित बाड़मेर लंबे समय से जीरा, अरंडी और इसबगोल जैसी फसलों से जुड़ा हुआ है, जो अपेक्षाकृत कम लाभदायक हैं. हालांकि, कई जिलों में बदलाव देखा गया है, क्योंकि किसान अनार की खेती को अपना रहे हैं. बाड़मेर में, इस बदलाव के परिणामस्वरूप इस फल की खेती करने वाले किसानों को अच्छी खासी कमाई हुई है. जेठाराम ने 2016 में अनार की खेती करनी शुरू की थी. दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और 15 लाख रुपये के लोन के साथ, उन्होंने अपना खेत तैयार किया.
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उन्होंने नासिक, महाराष्ट्र से "भगवा सिंदूरी" के रूप में जाने जाने वाले 4,000 उच्च गुणवत्ता वाले अनार के पौधे मंगवाए और उन्हें अपनी उपजाऊ भूमि पर लगाया. अपनी कृषि पद्धतियों के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता और मेहनती प्रयासों का परिणाम है. अनार के पेड़ सभी उम्मीदों से बढ़कर फले-फूले और उनकी शुरुआती उपज ने उनकी सफलता का आधार तैयार किया. आज, उनकी उपज न केवल स्थानीय बाजारों की आपूर्ति करती है, बल्कि विभिन्न राज्यों के शहरों तक भी पहूंचती है.
अनार की खेती में कदम रखने के बाद से जेठाराम की प्रगति निरंतर रही है. उनके फलों की बेहतरीन गुणवत्ता ने स्थानीय खरीदारों और बड़े पैमाने पर खुदरा विक्रेताओं दोनों को आकर्षित किया, जिससे मांग में वृद्धि हुई, कीमतें बढ़ीं और बेहतर रिटर्न मिला. थोड़े समय के भीतर, उनकी आय 2.5 गुना बढ़ गई, जिससे उन्हें न केवल अपना लोन चुकाने में मदद मिली, बल्कि अपने खेती के प्रयासों में फिर से निवेश करने में भी मदद मिली. वर्तमान में, उनका उत्पादन निर्यात के माध्यम से मुंबई, बैंगलोर, अहमदाबाद, दिल्ली, कोलकाता और यहां तक कि बांग्लादेश जैसे प्रमुख शहरों तक पहूंचता है.
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गुजरात के बुदिवाड़ा में इन फलदार पौधों के साथ मुलाकात से जेठाराम को अनार की खेती करने की प्रेरणा मिली. यह विचार जड़ पकड़ गया और उन्होंने इन आकर्षक फलों की खेती की दिशा में अपनी यात्रा शुरू करने के लिए नासिक से पौधे मंगवाए, जो वित्तीय सफलता में बदल गया.
गुजरात और बाड़मेर के बुड़ीवाड़ा में अनार के पौधे देखकर जेठाराम ने अपने खेत में अनार लगाने का विचार किया. वे बताते हैं कि आज वे 45 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं और उनके एक अनार के पौधे से 25 किलो अनार निकलता है. भीमड़ा निवासी जेठाराम बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2016 में 15 लाख रुपए का कर्ज लेकर अनार की खेती शुरू की थी. भगवा सिंदूरी किस्म के ये अनार नासिक से मंगवाए थे. वे बताते हैं कि उन्होंने अपनी 45 बीघा जमीन पर 4 हजार पौधे लगाए हैं, जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ है.
जेठाराम के मुताबिक अनार की खेती से दूसरे साल करीब 7 लाख, तीसरे साल 15 लाख, चौथे साल 25 लाख और पांचवें साल 35 लाख रुपए की आमदनी हुई. उनका कहना है कि आज भी किसान जीरा, अरंडी, इसबगोल जैसी फसलें अपना रहे हैं जो बहुत कम मुनाफे वाली फसलें हैं. उनका कहना है कि अनार की खेती से उन्हें 5 साल में 80 लाख से ज्यादा की आमदनी हुई है.
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