
बिहार की राजधानी पटना से करीब 40 किलोमीटर दूर बिहटा प्रखंड के डिहरी गांव के गिरेंद्र शर्मा खेती में बागवानी और पोल्ट्री से सालाना तीस से चालीस लाख की कमाई कर रहे हैं. ये बागवानी और पोल्ट्री को परंपरागत तरीके की खेती से बेहतर मान रहे हैं. 65 वर्ष की उम्र और खेती में चालीस साल के अनुभव के आधार पर ये कहते हैं कि खेती कमाई का बेहतर विकल्प बन सकती है. लेकिन शर्त ये है कि किसान समय के अनुसार खेती में अलग-अलग प्रयोग करते रहें. अस्सी के दशक में राजनीति से नाता रखने वाले गिरेंद्र शर्मा किसानी में 1990 के बाद जुड़े. औषधीय खेती के सहारे किसानी से जुड़ने वाले शर्मा पिछले आठ साल से पोल्ट्री और छह साल से बागवानी से इलाके में अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं.
बता दें कि गिरेंद्र शर्मा करीब चार एकड़ में बागवानी करते हैं. इन्होंने अपने बगीचे में चंदन, अगर, आम सहित बांस के पेड़ लगाए हुए हैं. इसके साथ ही वे चार पोल्ट्री फार्म, वार्मिंग कंपोस्ट खाद के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. ये खेती में नए प्रयोग के बीच में अपनी उम्र को नहीं आने देते हैं. उनके अनुसार ये राज्य के पहले ऐसे किसान होंगे जिन्होंने बिहार की धरती पर अगर का पेड़ लगाया है. वे कहते हैं कि अगर का पेड़ सोना के भाव बिकता है. अभी इसका पौधा छह महीने का है.
किसान तक से बात करते हुए गिरेंद्र शर्मा कहते हैं कि जवानी के दिनों में करियर बनाने के लिए बेहतर विकल्प राजनीति दिखा. लेकिन अस्सी के दशक में राजनीतिक दांव पेच में अपने को बेहतर नहीं पाया तो 1996 में औषधीय पौधों में लेमन ग्रास, मेंथा,पामा रोजा और तुलसी की खेती शुरू की. वहीं ये बिहार में लेमन ग्रास की खेती करने वाले अपने को पहला किसान बताते हैं. ये कहते हैं कि आगे चलकर मजदूरों की कमी को देखते हुए औषधीय खेती बंद करना पड़ा. वहीं उसके बाद पोल्ट्री फार्म में कदम रखा. आज करीब पांच-पांच हजार मुर्गियों के चार पोल्ट्री फार्म चला रहे हैं जिससे करीब महीने की चार लाख तक की कमाई हो जाती है. वहीं बागवानी में आम से सात से आठ लाख की कमाई आसानी से होती है. ये आम के अलावा व्यावसायिक पेड़ में चंदन, अगर और सागौन का पेड़ लगाए हुए हैं. ये कहते हैं कि यह पेड़ आने वाले सालों में मोटी कमाई करेगी.
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सफल किसान गिरेंद्र पोल्ट्री और बागवानी के अलावा परंपरागत तरीके से धान और गेहूं की खेती भी करते हैं. लेकिन वे अपनी समृद्धि का मार्ग पोल्ट्री फार्म को मानते हैं. वे कहते हैं कि पोल्ट्री का व्यवसाय हो या बागवानी का विचार, खेती में नया कुछ करने का आईडिया सोशल मीडिया के माध्यम से आता है. वहीं रक्त चंदन और अगर पेड़ लगाने का खयाल सोशल मीडिया के जरिये ही आया. उसी के आधार पर इनका पेड़ लगाया. अभी के समय में इनका ग्रोथ बढ़िया से हो रहा है. अब आगे देखते हैं.
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