देश के कई राज्यों में धान की खरीदी शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही बिहार में एक नवंबर से धान की खरीदी शुरू होगी. इसमें उत्तर बिहार में एक नवंबर से और दक्षिण बिहार में 15 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हो जाएगी. लेकिन सरकार के द्वारा निर्धारित दामों से किसान कितने खुश हैं, इसको लेकर राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों से बात की गई. सूबे के दक्षिण बिहार में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसमें कैमूर, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर सहित अन्य जिले शामिल हैं.
यहां के किसानों का कहना है कि सरकार ने अभी जो रेट धान के तय किए हैं, उसकी तुलना में करीब दो से तीन सौ अधिक मूल्य होना चाहिए. उनका कहना है कि करीब छह महीने की मेहनत के बाद जितना दाम मिल रहा है, उसमें दो सौ से अधिक का मुनाफा नहीं है. वह भी तब जब सरकारी रेट पर धान की खरीदारी हो. अगर किसान जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं, तो उन्हें वह भी लाभ न के बराबर ही मिलता है.
राज्य सरकार के द्वारा खरीफ सीजन में धान की खेती का लक्ष्य करीब 36 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया गया है. इसकी तुलना में इस साल करीब करीब 32 से 33 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी पूरी हो चुकी है. वहीं इस साल केंद्र सरकार पिछले वर्ष की तुलना में करीब 143 रुपये प्रति क्विंटल अधिक दाम पर धान की खरीदी कर रही है. सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 2183 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2203 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है.
ये भी पढ़ें- Bihar News: सावधान! भूल के भी मत जलाना पराली, वरना सरकारी रेट पर नहीं बिकेगा धान
किसान तक से बातचीत करते हुए कैमूर जिले के किसान पंकज कुमार कहते हैं कि इस साल प्रति बीघा पांच सौ रुपये अधिक खर्च आया है. वैसे प्रति बीघा पांच हजार से साढ़े पांच हजार रुपये तक खर्च आता है. छोटा बिगहा के अनुसार एक बीघा (आठ कट्ठा) में सात क्विंटल तक धान का उत्पादन होता है. वहीं प्रति बीघा धान की खेती में लगने वाली लागत को बताते हुए वे कहते हैं कि जिनकी निजी जमीन है, उनके अनुसार एक हज़ार जोताई,1500 खाद, रोपनी में एक हज़ार, चार सौ सोहनी, पांच सौ रुपये दवा का छिड़काव, पांच सौ हार्वेस्टर कटाई और दो से तीन सौ रुपये अलग से लगता है. इसके साथ ही अगर किराये की जमीन है तो प्रति बीघा सात हजार रुपये लग जाता है. यानी सात क्विंटल धान प्राप्त करने के लिए करीब 12 से 13 हजार रुपये तक खर्च आता है. जबकि धान की उपज पंद्रह हजार रुपये तक में बिक जाती है. दरभंगा जिले के धीरेंद्र सिंह, कैमूर जिले के संतोष सिंह सहित अन्य किसान धान की खेती को लेकर इसी तरह की राय रखते हैं.
ये भी पढ़ें- Banana Variety: ये हैं केला की पांच सबसे धाकड़ वैरायटी, कम खर्च में मिलती है बंपर पैदावार
दरभंगा जिले के जाले प्रखंड निवासी अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि आज के समय को देखते हुए धान की सरकारी खरीद 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक होना चाहिए. पटना जिले के किसान जी.एन शर्मा कहते हैं कि सरकार पंद्रह नवंबर से धान की खरीदारी करने वाली है. लेकिन दिसंबर के अंत से ही राज्य में धान की खरीदारी होती है. अभी जो सरकारी रेट केंद्र सरकार के द्वारा तय किया गया, उसमें राज्य सरकार को एक सकारात्मक कदम उठाते हुए अपने अनुसार दाम में वृद्धि करनी चाहिए. वहीं केंद्र सरकार कहती है कि लागत का डेढ़ गुना अधिक दाम दिया जाता है. मगर ऐसा कुछ नहीं है. किसानों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है. अगर राज्य और केंद्र सरकार सही मायने में किसानों को समृद्ध करना चाहती है तो उन्हें 2500 से 3000 रुपये तक धान का दाम तय करना चाहिए.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today