बिहार में धान, गेहूं के बाद मक्के की खेती किसानों के लिए जीविका का सबसे बड़ा माध्यम है. वहीं अब राज्य सरकार इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में समृद्ध होने के लिए मक्के की खेती का विस्तार कर रही है. पहले जहां इसकी खेती सात से आठ जिलों तक बड़े पैमाने पर होती थी. वहीं अब सूबे की सरकार 38 जिलों में इसकी खेती का विस्तार करने जा रही है. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब डेढ़ लाख एकड़ में मक्के की खेती का विस्तार किया जा रहा है.
कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल के अनुसार आज मक्का बिहार की पहचान बन चुका है. यहां के मक्के की मांग विदेशों में भी हो रही है. इसके साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में राज्य को आगे ले जाने के लिए बड़ी मात्रा में मक्के से जुड़ी इथेनॉल की फैक्ट्री लगाई जा रही है. इसमें से कुछ कंपनी काम भी करना शुरू कर चुकी है. मक्के की खेती का विस्तार पूरे जिले में हो, इसके लिए राज्य सरकार करीब 15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट पास किया है. वहीं किसानों को अनुदानित दर पर बीज वितरण करने का प्रावधान किया गया है.
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रबी सीजन में मक्के की खेती बेहतर तरीके से हो. इसके लिए सरकार ने 100 प्रतिशत हाइब्रिड मक्के का बीज लगाने का लक्ष्य तय किया है. किसानों को अनुदान पर बीज के अलावा अन्य तरह की सुविधा सरकार उपलब्ध करा रही है. इसको लेकर कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग के किसान सलाहकार सहित कृषि समन्वयक को किसानों को जागरूक करने का आदेश दिया गया है.
बिहार सरकार ने रबी सीजन में मक्के की खेती को लेकर सभी जिलों का टारगेट निर्धारित कर दिया है. इनमें से राज्य के कुछ ऐसे जिले हैं, जहां मक्के की खेती का विस्तार अधिक किया गया है. इसमें लखीसराय, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, मुंगेर में करीब 3740 एकड़ में मक्के की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अलावा सीतामढ़ी, रोहतास, मधुबनी, नवादा, पटना, भोजपुर में करीब 2500 एकड़, कैमूर और जहानाबाद जिले में करीब 1240 एकड़, किशनगंज, मधेपुरा, समस्तीपुर, सहरसा, भागलपुर, बेगूसराय, सारण, मुजफ्फरपुर, गया में करीब 6240 एकड़ के आसपास का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अलावा अन्य जिलों में मक्के की खेती का विस्तार किया गया है.
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कृषि विभाग इस बार किसानों को अनुदानित दर पर मक्के का 100 प्रतिशत हाइब्रिड बीज उपलब्ध कराएगा. इसके साथ ही सूबे की सरकार ने रबी सीजन में मुख्य रूप से होने वाली खेती में गेहूं, तिलहन और दलहन के हाइब्रिड बीज लगाने का लक्ष्य रखा है. अधिकांश जिलों में तिलहन की खेती अपने अंतिम पड़ाव की ओर है. सूबे की सरकार यह योजना इस वित्तीय वर्ष के लिए लेकर आई है.
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