राहुल ने 15 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ शुरू की जैवि‍क खेती, अब सालाना डेढ़ करोड़ से ज्‍यादा है टर्नओवर

राहुल ने 15 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ शुरू की जैवि‍क खेती, अब सालाना डेढ़ करोड़ से ज्‍यादा है टर्नओवर

मध्‍य प्रदेश में किसान जैव‍िक और प्राकृ‍त‍िक खेती अपनाकर अच्छी आय हासिल कर रहे हैं. आज हम आपको छिंदवाड़ा जिले के एक प्रगतिशील किसान की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्‍हाेंने महज कुछ सालों में रसायनमुक्‍त खेती से अपना सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपये से ज्‍यादा कर लिया है.

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राहुल ने 15 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ शुरू की जैवि‍क खेती, अब सालाना डेढ़ करोड़ से ज्‍यादा है टर्नओवरछिंदवाड़ा के प्र‍गतिशील किसान राहुल कुमार

मध्‍य प्रदेश में किसान खेती-किसानी को मुनाफे का सौदा बनाकर नई इबारत ल‍िख रहे हैं. यहां किसान जैव‍िक और प्राकृतिक खेती अपनाकर मिट्टी की सेहत, रसायन मुक्‍त शुद्ध भोजन और सुरक्षित पर्यावरण को बढ़ावा दे रहे हैं. मालूम हो कि मध्‍य प्रदेश जैव‍िक खेती के लिए जाना जाता है. यहां से देश के कुल जैव‍िक उत्‍पाद का 40 प्रतिशत हिस्‍सा आता है. आज हम आपको प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक प्रगतिशील एमबीए किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्‍होंने लाखों रुपये का पैकेज छोड़ जैवि‍क और प्राकृतिक खेती शुरू की अब वे अपनी कंपनी के माध्‍यम से सालाना डेढ़ करोड़ रुपये से ज्‍यादा टर्नओवर हासिल कर रहे हैं. 

15 साल पावर प्‍लांट में की नौकरी

छिंदवाड़ा जिले के खजरी गांव के रहने वाले राहुल कुमार वसूले प्रगतिशील किसान होने के साथ-साथ जैविक खेती के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले हीरो भी हैं. राहुल कुमार पहले पावर प्‍लांट में 15 लाख रुपये सालाना पैकेज पर नौकरी कर थे. उन्‍होंने इंजीनियरिंग (बी.टेक) के बाद मैनेजमेंट (MBA) की पढ़ाई की और 15 सालों तक पावर प्लांट में काम करते रहे. लेकिन, इस बीच उनके परिवार पर ऐसी व‍िपदा आई कि उन्‍होंने नौकरी छोड़ जैविक और प्राकतिक खेती करने का फैसला किया.

कैंसर से पिता और पुत्र को खोया

दरअसल, राहुल ने अपने पिता और पुत्र को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के चलते खो दिया. इसके बाद उन्‍हें महसूस हुआ कि कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के पीछे रासायनिक खेती से पैदा होने वाले उत्‍पाद हैं. फिर उन्‍होंने साल 2018 में नौकरी छोड़कर गांव लौटने और जैविक और प्राकृतिक खेती करने का फैसला किया. आज राहुल "श्रीराम जैविक कृषक समूह" कंपनी चलाते हैं, जिससे 600 से ज्‍यादा किसान जुड़े हुए हैं. वे किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए कहते हैं और उन्‍हें उनकी उपज सही दाम दिलाने में मदद क‍रते हैं. राहुत की सफलता देख आसपास के किसानों ने रसायनमुक्त खेती छोड़ दी है.

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10 एकड़ जमीन पर रसायनमुक्‍त खेती

राहुल अपनी 10 एकड़ जमीन पर गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी, चना, मूंग, और सब्जियों की जैव‍िक और प्राकृतिक खेती करते हैं. उन्होंने प्राकृतिक खाद और जैविक तरीकों का इस्‍तेमाल कर अपनी उपज की क्‍वालिट बढ़ाई है. इसके अलावा वे दूध उत्‍पादन और मशरूम उत्पादन से भी आय हासिल कर रहे हैं.

राहुल अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि "रसायनमुक्त नवरत्न आटा," को मानते हैं. वे ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, काला गेहूं और अन्य अनाजों के आटे को अपने जैविक प्र-संस्करण यूनिट में तैयार करते हैं. उनके ये उत्‍पाद ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. इन उत्पादों की मांग गुरुग्राम, नोएडा, पुणे, मुंबई जैसे शहरों में बढ़ रही है. यूनिट से इलाके के 50 से ज्‍यादा लोगों को रोजगार भी मिला है.

कई संस्‍थानों से ली ट्रेनिंग

राहुल ने जैविक खेती खीखने, समझने और इसे प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए राज्य सरकार की मदद से देश के विभिन्न संस्थानों और वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन हासिल किया. उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत, केंचुआ खाद और नीमास्त्र जैसे जैविक उत्पाद बनाना सीखा. वे इज़राइल की तकनीक से संरक्षित खेती और मशरूम उत्पादन जैसे आधुनिक तरीके भी अपना रहे हैं. राहुल को जैव‍िक और प्राकृतिक खेती के अपनाने और अन्‍य किसानों को प्रेरित करने के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं.

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