
आज हम आपको एक महिला किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने कृषि के क्षेत्र में नये बदलाव किये, दूसरी महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और जैविक खाद बनाकर समाज में दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी. मेरठ (Meerut News) के राली चौहान गांव की रहने वाली महिला प्रगतिशील किसान सना खान ने गोबर और केंचुआ से वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermi compost khad) तैयार करके आज करोड़पति बनने का सफर तय किया है. सना ने बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2014 में केंचुआ खाद बनाने के कारोबार से जुड़ीं, जिसका नतीजा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी हिम्मत को सराहा. सना को उम्मीद है कि वर्मी कम्पोस्टिंग के जरिए उत्तर प्रदेश के साथ पूरे भारत में जैविक खेती के तरीकों को लोकप्रिय बनाने में वो किसानों की मदद कर सकती हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बीटेक करने के बाद एक MNC कंपनी में नौकरी की, कुछ दिन काम करने के बाद जॉब से इस्तीफा देने के बाद जैविक खाद बनाने की शुरुआत की. सबसे पहले लीज पर जमीन लेकर सिर्फ 30 बेड से काम की शुरूआत किया था, आज 1250 बेड में केंचुआ खाद तैयार कर रही हूं. धीरे-धीरे काम आगे बढ़ता गया, और कुछ दिनों बाद अपनी खुद की कंपनी ‘एसजे ऑर्गेनिक्स’ (SJ Organics) बनाया. और जैविक खाद की आमदनी से खुद की 5 एकड़ जमीन खरीदी. उन्होंने बताया कि अभी तो वह खाद को देश के अलग-अलग राज्यों में भेजती हैं, लेकिन अब दुनिया के अन्य देशों से डिमांड आ रही है. बीते कुछ दिनों पहले खाड़ी देश कतर में वर्मी कंपोस्ट खाद की सप्लाई की है.
सना का कहना है कि इस कामायबी के पीछे उनके माता- पिता के साथ भाई जुनैद तो हैं हीं, उनके पति भी पूरा सहयोग कर रहे हैं. उनके पति अकरम ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और अब मेरे साथ हाथ बंटा रहे हैं. वर्तमान समय में उनकी कंपनी में 45 लोग अलग-अलग काम देख रहे है. उन्होंने बताया कि केंचुए तीन साल तक जिंदा रहते हैं और तेजी से प्रजनन करते हैं. ऐसे में यह प्रक्रिया बिजनेस के लिहाज से टिकाऊ और सस्ती बन जाती है.
सना के मुताबिक, गोबर और जैविक पदार्थों को वर्मी कंपोस्ट में बदलने में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगता है. इसके बाद इस कंपोस्ट को छानकर उसमें गोमूत्र मिलाया जाता है, जो प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक का काम करता है. तय मानकों को पूरा करने के लिए, वर्मी कंपोस्ट के हर बैच का लैब टेस्ट कराया जाता है और रिपोर्ट आने पर उन्हें पैक करके मार्केट में भेज दिया जाता है.
खुदरा दुकान और नर्सरी से किसान यह वर्मी कंपोस्ट खरीदते हैं. आज हर महीने करीब 400 से 500 टन वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन करती हैं. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी हिम्मत को सराहा. सना के जैविक खाद का कारोबार अब 7-8 करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंच गया है.
सना खान ने बताया कि वे सीधे किसानों से संपर्क नहीं करते हैं, बल्कि शहरी बागवान, बीज भंडार की दुकानें (खाद्य और अनाज बीज भंडार की दुकानें (खाद्य और अनाज बाजार), बागवानी किसान, नर्सरी और सरकारी निविदाएं उनके सबसे बड़े बाजार हैं. वर्मी कंपोस्ट प्लांट में एक बार खाद बनने के बाद उसकी गुणवत्ता की भी जांच की जाती है. इसके लिए उन्होंने अपने वर्मीकम्पोस्ट प्लांट में एक लैब स्थापित की है.
जैविक खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट बहुत ज्यादा जरूरी है. साथ ही, यह स्वच्छ, सस्टेनेबल और जीरो-वेस्ट प्रक्रिया है. यह खाद पेड़-पौधों और फसलों के लिए बहुत ही उत्तम होती है. इसलिए मार्केट में इसकी मांग काफी ज्यादा है. जिस कारण वर्मी कंपोस्टिंग एक अच्छा बिजनेस है और सना जैसे बहुत से लोग इसमें आगे बढ़ रहे हैं.
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