बदलते समय के साथ खेती-किसानी में भी बदलाव आ रहा है. किसान अब पारंपरिक फसलों के अलावा फूलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल रहा है. आज हम आपको यूपी के मैनपुरी के एक युवा किसान रवि पाल की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अपनी मेहनत और लगन से खेती को एक नई राह दिखा रहे हैं. रवि पाल आज गेंदा फूल की खेती से 35 लाख रुपये सालाना कमाई कर रहे हैं. फूलों की खेती से न केवल उसका जीवन खिल उठा, बल्कि दर्जनों किसान परिवारों के चेहरे पर मुस्कान आ गई है.
भोगांव के गांव छिवकरिया निवासी रवि पाल ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि साल 2011 में सचदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मथुरा से एमबीए की डिग्री लेने के बाद दिल्ली समेत कई राज्यों में मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी की. जहां साल का 8 लाख का पैकज था. दरअसल उनका काम मार्केटिंग से जुड़ा हुआ था.
किसान रवि कहते हैं, इस दौरान ही मैं एक दिन कृषि विज्ञान केंद्र (पूसा) दिल्ली घूमने के लिए गया. वहां पर मेरी मुलाकात देश के नामी कृषि वैज्ञानिकों से हुई. उन लोगों से बातचीत के बाद मेरा खेती के प्रति नजरिया ही बिल्कुल बदल गया. उन्होंने बताया कि साल 2016 में पूसा दिल्ली में एक किसानों का बहुत बड़ा मेला लगा था. वहां पर मुझे फूलों की अलग-अलग वैरायटियों का आईडिया मिला.
रवि बताते हैं कि वैज्ञानिकों से मिलने के 6 महीने बाद ही मैं नौकरी छोड़कर घर मैनपुरी आ गया. शुरुआत से मेरे दिमाग में फूलों की खेती करने की इच्छा थी. सबसे पहले दो बीघा में देसी गेंदा का बीज मंगाकर बोया था. पहले साल फसल बेहतर हुई और दाम भी अच्छा मिला. पहली ही फसल में उन्हें 75 हजार रुपये का फायदा हुआ. लेकिन फूल छोटा होने के चलते पैदावार कम हुई. कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत के बाद उन्होंने थाइलैंड से बीज खरीदा. इसकी पैदावार देसी गेंदा की अपेक्षा लगभग चार गुनी थी. इसके बाद से ही मैं लगातार थाइलैंड से बीज मंगा रहा हूं.
वे कहते हैं, लेकिन मेरे मन में कुछ बड़ा करने का प्लान था. हमने गांव के 250-300 किसानों को अपने साथ जोड़ा और उनको घर बैठे बीज और मार्केट दोनों की सुविधा दिलाने लगा. दरअसल गांव में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि अगर वो फूलों की खेती कर रहे हैं तो उनको बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी या नहीं. इन समस्याओं को मैं गांव में बैठकर हल कर देता हूं. आज हालत यह है कि किसानों को बीज और बाजार दोनों घर बैठे मिल रहा है.
रवि पाल का कहना है कि गेंदा का बीज और पौधा कलकत्ता से मांगता हूं. सभी किसानों को इसकी सप्लाई करता हूं, इससे मुझे ठीकठाक आमदनी हो जाती है. मेरे पौधे और बीज बिहार और झारखंड तक जाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके बाद साल दर साल गेंदा की खेती का ये क्षेत्रफल बढ़ता चला गया. आज मेरे पास खुद की 10 बीघा से अधिक गेंदे की खेती है, तो वहीं अन्य किसानों से जुड़कर लगभग 90 बीघा में उन्होंने गेंदा लगवाया है. आज उनके खेतों में उगा गेंदा राजधानी दिल्ली में महक रहा है.
रोजाना वे फूलों को दिल्ली, इटावा, कानपुर, आगरा की मंडियों में भेजते हैं. वर्तमान समय में 90 से लेकर 150 क्विंटल गेंदे के फूल का उत्पादन रोजाना हो रहा है. एक किलो गेंदे का फूल 20 रुपये बिक रहा है. यानी एक क्विंटल 2000 रुपये. वहीं समय और मार्केट के हिसाब से दाम में उतार चढ़ावा होता रहता है. रवि ने बताया कि गेंदा की खेती कभी भी घाटे में नहीं जाती है. हालांकि कीमत पर बहुत कुछ निर्भर करता है. वे बताते हैं कि अगर रेट अच्छा मिल जाए तो एक बीघा में 20-30 हजार रुपये तक की बचत हो जाती है.
उन्होंने बताया कि कलकतिया गेंदा के बीज का रेट 10-12 हजार रुपये प्रति किलो मिलता है क्योंकि डिमांड ज्यादा है. हम किसानों को 14 से 15 हजार रुपये के रेट से आगे सप्लाई कर देते हैं. इससे मुझे अच्छा प्रॉफिट हो रहा है. अगर दोनों इनकम को मिलकर देखें तो सालाना 35 लाख रुपये की आय हो रही है. गेंदा की फसल साल में दो बार तैयार होती है- पहली फसल नवंबर से मार्च और दूसरी मार्च से अक्टूबर तक. इस वजह से यह खेती ज्यादा लाभदायक साबित होती है.
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