जूनागढ़ के केसर आम की बिक्री शुरू, इस बार कम पैदावार होने से अधिक रहेंगी कीमतें

जूनागढ़ के केसर आम की बिक्री शुरू, इस बार कम पैदावार होने से अधिक रहेंगी कीमतें

जूनागढ़ के गिर केसर आम देश विदेश के आम रसिकों की पसंद रहे हैं. केसर आम का केसरिया रंग, सुगंध और मिठास ही उसकी पहचान है. विश्व विख्यात तलाला गिर के केसर की नीलामी आज से शुरू हो गई जिससे केसर आम रसिकों को आज से बाजार में आम देखने ओर खरीदने को मिलेंगे.

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जूनागढ़ के केसर आम की बिक्री शुरू, इस बार कम पैदावार होने से अधिक रहेंगी कीमतेंगुजरात में केसर आम की बिक्री शुरू (सांकेतिक तस्वीर)

जूनागढ़ के केसर आम के रसिकों के लिए अच्छी खबर  है. यहां के केसर आम की बिक्री शुरू हो चुकी है जिसका इंतजार लोग महीनों से करते हैं. अब यह आम मार्केट में आ गया है जिसे खरीदने के लिए लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पर इस साल ग्लोबल वार्मिंग के असर के चलते उत्पादन में 30 परसेंट कमी आने का अनुमान है. इस वजह से 25 से 30 दिनों तक ही इस आम का सीजन चलेगा और दाम भी ज्यादा रहेंगे.

जूनागढ़ के गिर केसर आम देश विदेश के आम रसिकों की पसंद रहे हैं. केसर आम का केसरिया रंग, सुगंध और मिठास ही उसकी पहचान है. विश्व विख्यात तलाला गिर के केसर की नीलामी आज से शुरू हो गई जिससे केसर आम रसिकों को आज से बाजार में आम देखने ओर खरीदने को मिलेंगे. मगर केसर आम का कम होता जा रहा उत्पादन केसर रसिकों को ज्यादा दाम देने के लिए मजबूर कर सकता है. इसके साथ ही स्वाद को भी फीका करवा सकता है.

व्यापारियों की बढ़ी चिंता

व्यापारी भी इस बार चिंता में हैं और कहते हैं कि केसर आम की आज 300 बॉक्स की नीलामी हुई जिसका दाम 1000 से 1500 तक रहा. अगले सप्ताह से केसर आम की बिक्री बढ़ेगी तो दाम भी कुछ कम हो सकते हैं. पर केसर आम रसिकों को इस साल पैदावार 30 परसेंट कम होने की वजह से दाम पिछले साल की तुलना में ज्यादा देने पड़ेंगे.

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इस बारे में तालाला मार्केटिंग यार्ड के चेयरमैन संजय शिंगाला ने बताया कि ताऊते तूफान आने के बाद और पिछले दस सालों से आम की पैदावार हर साल कम होती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग के असर से केसर आम के उत्पादन में काफी कमी आ रही है जिससे केसर आम बाग के किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.

ग्लोबल वार्मिंग का असर

केसर आम के कम होते उत्पादन के बारे में किसान संजय वेकारियां कहते हैं कि केसर आम पर ग्लोबल वार्मिंग का असर बहुत ज्यादा देखा जा रहा है. इस साल केसर आम के पेड़ों में दिसंबर में फ्लावरिंग बहुत हुआ था पर फिर ठंड बढ़ने से फ्लावरिंग पर असर हुआ. इससे पेड़ों पर फल भी कम लगे जिसके चलते उत्पादन में कमी आई है. उत्पादन कम होने से इस बार केसर के दाम अधिक होंगे.

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केसर आम के उत्पादन में कमी पर रिसर्च भी चल रहा है. इस बारे में रिसर्च सेंटर के अधिकारी विजय बारड कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के असर से केसर आम की पैदावार में कमी आ रही है. पिछले 25 सालों में दिसंबर में इतना मंजर नहीं आया जितना इस साल आया. लेकिन फ्लावरिंग में नर फूल ज्यादा रहे जिसके फल नहीं बनते हैं. यानी ऐसे फूल आगे चलकर फल में तब्दील नहीं होते. इसी वजह से विश्व भर में ग्लोबल वार्मिंग के असर पर रिसर्च किया जा रहा है. हम भी ग्रीन नेट और ऑर्गेनिक फॉर्मिंग का उपयोग करके आम की पैदावार बढ़ाने पर रिसर्च कर रहे हैं.

 

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