गेहूं की उन्नत पैदावार को लेकर इन दिनों गेहूं चर्चा का विषय बन चुका है. गेहूं से लेकर आटे की खुदरा दामों में भी बढ़त देखी जा रही है. चालू रबी सीजन (rabi crop) में गेहूं की बुवाई (wheat sowing) आगे चल रही है. लेकिन, फिर भी गेहूं के दामों (wheat price) में लगातार बढ़त देखने को मिल रही है. जिस वजह से किसान के चेहरे पर काफी खुशी देखने को मिल रही है. वहीं गेहूं के दामों में हुई इस बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किल बढ़ी हुई हैं. नतीजतन आटे के दाम (wheat flour price) नई ऊंचाईयों पर है. जिसका मुख्य कारण गेहूं के बढ़े हुए दाम हैं. आलम ये है कि महाराष्ट्र की मंडी में 22 जनवरी को गेहूं का अधिकतम दाम 4100 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया है.
आपको बता दें महाराष्ट्र के औसा मंडी में गेहूं के भाव में अब तक का सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के Agmarket के आकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के औसा मंडी में गेहूं का भाव 4100 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है. Agmarket के आकड़ों के अनुसार 22 जनवरी को महाराष्ट्र के औसा मंडी में गेहूं की महाराष्ट्र 2189 किस्म की न्यूनतम कीमत 2480 रुपये रही. तो वहीं अधिकतम कीमत 4100 रुपये प्रति क्विंटल के साथ गेहूं का कारोबार हुआ.
मंडी का नाम | किस्म | न्यूनतम मूल्य | अधिकतम मूल्य |
महाराष्ट्र औसा | महाराष्ट्र 2189 | 2480 | 4100 |
एमपी गंज बासौदा | एमपी शरबती | 2736 | 3102 |
दिल्ली नरेला | मैक्सिकन | 2901 | 3028 |
राजस्थान गंगापुर सिटी | अन्य | 2740 | 2791 |
उत्तर प्रदेश एप्ट | दारा | 2850 | 2925 |
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल 13 जनवरी तक गेहूं की बुआई 337.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है. पिछले साल इसी अवधि में 332.52 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी. इस तरह अभी पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र से भी अधिक गेहूं की बुआई आगे चल रही है. खबर के मुताबिक देश की ज्यादातर मंडियों में गेहूं के कारोबार में बढ़त देखी गई.
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घरेलू उत्पादन में कमी के कारण एफसीआई की खरीद में भारी गिरावट के बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन, पड़ोसी देशों की सरकारों के अनुरोध के बाद मानवीय आधार पर केंद्र ने फिर से गेहूं के निर्यात की अनुमति दे दी. ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) नीति के तहत, सरकार समय-समय पर एफसीआई के थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने की अनुमति देती है. इसका उद्देश्य मंदी के समय में आपूर्ति को बढ़ावा देना और खुले बाजार की कीमतों को कम करना है.
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