यमुनानगर जिले के दो किसानों ने आधुनिक खेती के जरिए गन्ना उत्पादन में रिकॉर्ड कायम करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हासिल किया है. सरस्वती शुगर मिल्स से जुड़े बैंडी गांव के राहुल बलियान और बहादुरपुर गांव के राजिंदर कुमार को नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (NSI), कानपुर की ओर से उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
यह सम्मान NSI के 90वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में दिया गया. NSI, जो 1935 में स्थापित हुआ था, देश और विदेश के छात्रों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और अधिकारियों को शुगर इंडस्ट्री से जुड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराता है.
सरस्वती शुगर मिल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.के. सचदेवा ने इसे हरियाणा और मिल के लिए गर्व का क्षण बताया. उन्होंने कहा, "हमारे किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना पूरे राज्य के लिए प्रेरणास्रोत है." उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की कि वे आधुनिक गन्ना खेती तकनीकों को अपनाएं जिससे उत्पादन और आय में बढ़ोतरी हो सके.
एडमिनिस्ट्रेशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डी.पी. सिंह ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में राहुल बलियान ने औसतन 1,350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और राजिंदर कुमार ने 1,280 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का रिकॉर्ड उत्पादन किया है.
इन दोनों किसानों की सफलता यह साबित करती है कि वैज्ञानिक तरीके और आधुनिक कृषि तकनीक अपनाकर गन्ना उत्पादन में नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं. हरियाणा में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है जिससे किसानों की आय में इजाफा हो रहा है. गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार उपज पर उचित एफआरपी देती है.
2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी 355 रुपये क्विंटल तय किया है. हालांकि हरियाणा में गन्ने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से एसएपी यानी राज्य परामर्श मूल्य लागू किया जाता है जो कि केंद्र के एफआरपी से अधिक होता है. इसलिए हरियाणा के किसानों पर केंद्र के एफआरपी का कोई असर नहीं देखा जाता क्योंकि उससे ज्यादा हरियाणा सरकार अपने किसानों को मूल्य देती है.
इस साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी बढ़ाया था. यह एफआरपी 1 अक्तूबर से लागू हुआ है. बढ़ोतरी से पहले गन्ने का एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल था जो 15 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 355 रुपये हो गया. इससे देश के लाखों किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले श्रमिकों को फायदा होगा.
यमुनानगर के दोनों किसानों को यह सम्मान न केवल उनकी मेहनत का फल है, बल्कि यह संदेश भी है कि नवाचार और तकनीक से जुड़कर किसान अपनी पैदावार और आमदनी दोनों बढ़ा सकते हैं.
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