
देश की बहुत बड़ी आबादी खेती से जुड़ी है. खेती करने वाले अधिकांश किसानों ने बताया कि उनकी आर्थिक आय आज भी बहुत कमजोर है, लेकिन हमने कुछ ऐसे भी किसान देखे हैं जो खेती के क्षेत्र से जुड़कर लखपति और करोड़पति हुए हैं. आज की कहानी उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर से है जहां राहुल चौधरी नाम के किसान ने फौज की नौकरी छोड़ पूरी तरह से खेती अपना ली और आज उनका टर्न ओवर 2 करोड़ रुपये सालाना के आसपास पहुंच गया है. आइए जानते हैं राहुल ने कैसे ये मुकाम हासिल किया?
राहुल चौधरी ने किसानतक से खास बातचीत करते हुए बताया कि साल 1994 में उनके पिता का निधन हो गया, तब उनकी उम्र काफी कम थी. जिसके बाद परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गया. जिसके चलते उन्हें कक्षा 10वीं के बाद पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी. राहुल बताते हैं कि साल 2008 में वे भारतीय सेना में शामिल हुए. 2014 में वे पहली बार सीपीआरआई मेरठ आलू के बीज खरीदने गए. बीज के पैसे ना होने के कारण उन्होंने अपनी भैंस बेच दी. राहुल ने बताया कि भैंस 49,000 रुपये में बिकी और लगभग 28 हजार रुपये के बीज खरीद कर खेती शुरू की.
राहुल ने बताया कि उनके पास बहुत ज्यादा जमीन भी नहीं है. उनके पास खुद की मात्र एक एकड़ जमीन है. वे लगभग 80 एकड़ खेत लीज में लेकर खेती कर रहे हैं. बातों बातों में हमने आपको ये नहीं बताया कि राहुल आलू के बीज तैयार करते हैं. वे लगातार केवीके, आईसीआर और अन्य कृषि संस्थानों के संपर्क में रहते हैं. और जैसे ही आलू की नई किस्में लांच होती हैं वैसे ही वे उसपर काम शुरू कर देते हैं. राहुल ने बताया कि उनका उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज पहुंचे इसके लिए वे बीज तैयार करते हैं.
राहुल चौधरी का मुख्य काम आलू के बेहतर बीज तैयार करना है. उच्च गुणवत्ता वाले बीज बनाने के लिए उन्होंने 80 एकड़ जमीन पर खेती शुरू कर दी है. बुलंदशहर के सिकंदराबाद स्थित सुखलालपुर उनके फर्म में किसानों को बीज मिल जाता है. उनके यहां पोटैटो सीड्स की कीमत 03 हजार रुपये क्विंटल से लेकर 04 हजार रुपये क्विंटल होती है. इससे उन्होंने सालाना 1.50 करोड़ के आसपास कमाते हैं. राहुल ने बताया कि वे लौकी, कद्दू और खीरे की खेती से भी पैसे कमाते हैं जिसको मिलाकर करीब 2 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट होता है. उन्होंने बताया कि उनके फॉर्म में 08 लोग महीने की सैलरी वाले हैं जो फुल टाइम काम करते हैं इसके अलावा 12-13 लोग हैं जो रोजाना मजदूरी करते हैं. उन्होंने करीब 20 लोगों को रोजगार भी दे रखा है.
राहुल ने खेती की शुरुआत साल 2014 में की थी लेकिन शुरुआती सालों में कुछ खास फायदा देखने को नहीं मिला. उन्हें असली सफलता साल 2020-21 में आई महामारी कोरोना के दौरान हुआ. तब उनके बिजनेस में अचानक से बढ़ोतरी हुई और उन्होंने काव्या एग्रो पोटैटो सीड्स नाम की खुद की कंपनी भी रजिस्टर्ड करा ली. अब वे अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा खेती को बढ़ाने में लगा देते हैं. इसके बाद भी करीब 40 लाख की सालाना बचत करते हैं.
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