जिस तरह से क्लाइमेट चेंज की वजह से देश की कृषि प्रभावित हो रही है, ऐसे समय जरूरत है कृषि में नई तकनीक के इस्तेमाल करना, जिससे फसल उत्पादन पर कोई प्रभाव न पड़े और अच्छा उत्पादन मिलता रहे. ऐसी ही एक तकनीक है पॉलीहाउस. हालांकि अगर सही समय पर इसमें कृषि गतिविधियों को नहीं किया जाए तो उपज प्रभावित हो सकती है. कुछ इसी प्रकार का घटनाक्रम वाराणसी जिले के किसान अवनीश पटेल के साथ भी हुआ. अवनीश ने पॉलीहाउस में टमाटर की खेती की, लेकिन असफल रहे. वही कृषि वैज्ञानिकों के सलाह पर उन्होंने पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती की और उन्हें सफलता मिली. ऐसे में आइये आज उनकी सफल कहानी के बारे में जानते हैं-
दरअसल, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के बंगालीपुर गांव, के अवनीश पटेल ने उत्तर प्रदेश राज्य बागवानी विभाग से सब्सिडी लेकर 0.25 एकड़ क्षेत्र में एक प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस का निर्माण करवाया और उसमें उन्होंने टमाटर की खेती की, लेकिन बुवाई के गलत समय और उचित प्रबंधन के अभाव में उनकी टमाटर की फसल खराब हो गई. इससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और उन्होंने पॉलीहाउस में खेती करना छोड़ दिया.
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वही, आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च, वाराणसी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जुलाई 2021 में उनके पॉलीहाउस का दौरा किया. प्राथमिक निरीक्षण के बाद यह पता चला कि पॉलीहाउस में खेती के दौरान तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण टमाटर की फसल खराब हो गई थी. जिसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस में शिमला मिर्च और टमाटर की खेती डेमो के लिए करने का निर्णय लिया.
Technology along with real-time technical support from #ICAR-IIVR led to success in the protected cultivation in vegetable. @PMOIndia @nstomar @KailashBaytu @ShobhaBJP @PIB_India @mygovindia @DDKisanChannel @AgriGoI
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— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) January 4, 2023
आईसीएआर-आईआईवीआर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की गई. वही शिमला मिर्च की खेती करने के लिए स्वर्ण अतुल्य के अलावा रेहाना और हंटिंगटन नामक दो संकर किस्मों उपलब्ध कराई गईं. साथ ही किस वक्त कौन सा कृषि कार्य करना है कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा यह जानकारी भी उपलब्ध कराई गई. इसके अलावा कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा सभी कृषि गतिविधियों पर नजर भी रखी गई. जिसके बाद अवनीश पटेल ने 15 बार (मई 2022 के दूसरे सप्ताह तक) शिमला मिर्च की तुड़ाई की, जिसके परिणामस्वरूप सात महीने की अवधि में कुल 2864 किलोग्राम शिमला मिर्च का उत्पादन हुआ और 0.25 एकड़ से 1.27 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ.
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