अक्सर आप देखते होंगे कि फूलों के सूख जाने के बाद उन्हें बेकार समझकर फेंक दिया जाता है. देश के हर राज्य की यही समस्या है लेकिन उत्तर प्रदेश में जब एक शख्स ने गंगा नदी में इन फूलों को गंगा नदी में बहते हुए देखा तो उनके दिमाग में एक नया आइडिया आया. यह एक ऐसा आइडिया था जिसने न सिर्फ उनके लिए अच्छी इनकम का रास्ता खोला बल्कि कई लोगों को ऐसा करने की प्रेरणा भी दी. हम बात कर रहे हैं यूपी के शेखपुर के रहने वाले शिवराज निषाद की जो आज फ्लॉवर वेस्ट की मदद से हर महीने चार लाख रुपये तक कमा रहे हैं. हैरानी की बात है कि शिवराज निषाद कोई किसान नहीं हैं, लेकिन फिर भी आज वह एक सफल उद्ममी हैं.
वेबसाइट कृषि जागरण की रिपोर्ट के अनुसार निषाद ने बेकार पड़े फूलों को सोलर ड्रायर की मदद से एक ऐसे प्रॉडक्ट में बदल दिया जिसके बारे में हर कोई बात करने लगा. 30 साल के शिवराज निषाद एक फार्मास्यूटिकल रिप्रजेंटेटिव थे और अपनी जॉब से तंग आ चुके थे. ऐसे में वह शेखपुर में परिवार की तरफ से मिले प्लॉट पर फूल उगाने के लिए लौट आए. फूलों के खराब होने की समस्या को समझते हुए उन्होंने उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने और इससे नए फायदे तलाशने के रास्ते तलाशने शुरू किए. उन्हें अहसास हुआ कि अगर इन फूलों को सुखा दिया जाए तो उन्हें काफी फायदा मिल सकता है.
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उन्होंने सोलर एनर्जी से चलने वाले सोलर ड्रायर का प्रयोग किया. इसकी मदद से निषाद अब चमेली और गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाते हैं. इनका प्रयोग फिर चाय की पत्तियों को बनाने के लिए किया जाता है. इस इनोवेशन से न सिर्फ उन्होंने एक नया प्रॉडक्ट बाजार को दिया बल्कि पहले से कम मूल्यांकित बाजार में फूलों के कारोबार को भी मजबूत बनाया है. हालांकि यहां तक का रास्ता उनके लिए आसान नहीं था बल्कि उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उनके क्षेत्र के किसान, अपने फूलों की फसल को बेचने के लिए ले जाने में असमर्थ थे. ऐसे में उन्हें कभी-कभी इन फूलों को गंगा में फेंकना पड़ता था. निषाद की मानें तो कभी कोई एक किलो फूल खरीदने का इच्छुक नहीं था.
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कई तरह की निराशाओं के बाद भी निषाद को संभावनाएं नजर आ रही थीं. उनके पास औषधीय खेती की अच्छा-खासा ज्ञान था. अपनी कोशिशों से उन्हें पता लगा कि फूलों को अगर सुखाया जाए तो उनकी गुणवत्ता को संरक्षित किया जा सकता है. साथ ही आयुर्वेदिक और हर्बल इंडस्ट्री के लिए अच्छे विकल्प मिल सकते हैं. यूं तो फूलों को सुखाने का तरीका कोई नया नहीं था लेकिन निषाद का आइडिया इससे काफी अलग था. वह इस नतीजे पर पहुंचे कि फूलों की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है और तोड़े जाने के कुछ दिनों के अंदर ही वो सड़ने लगते थे. अगर उन्हें सुखाया जाए तो उनका रंग, गंध और औषधीय लाभ कई वर्षों तक बरकरार रखे जा सकते हैं.
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निषाद के अनुसार सोलर ड्रायर, धूल को अंदर नहीं आने देता. इसमें सूखने वाला उत्पाद खाद्य-ग्रेड और 100 फीसदी शुद्ध होता है. ड्रायर से सुनिश्चित किया गया कि तापमान 40 और 45 डिग्री सेल्सियस के बीच हो और फूलों की गुणवत्ता से समझौता किए बिना उनका मूल रंग और सुगंध बनी रहे. वर्तमान में, निषाद हर महीने 500-1000 किलोग्राम फूल बेचते हैं जिससे न्यूनतम करीब एक लाख रुपये और अधिकतम चार लाख रुपये तक का फायदा होता है. साथ ही उनके इस व्यवसाय से सैकड़ों स्थानीय किसानों को भी रोजगार मिला हुआ है. इससे करीब 10 तरह के रोजगार के मौके पैदा हुए हैं जिनमें से आधे महिलाओं के पास हैं. 400-500 किसान उनके नेटवर्क का हिस्सा हैं.
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