खेती-किसानी में सफलता की यह कहानी गुजरात में वंकला गांव के प्रगतिशील आदिवासी किसान मितुलभाई चौधरी की है. मितुलभाई ने कम लागत वाली प्राकृतिक खेती के ज़रिए बड़ी कामयाबी हासिल की है. मांडवी तालुका के सरकनिया फलिया के निवासी मितुलभाई ने पारंपरिक रासायनिक खेती को छोड़कर गाय आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाया. इससे उनकी कमाई तो बढ़ी ही, साथ ही मिट्टी और हवा को भी केमिकल खाद से दूषित होने से बचा लिया.
मितुलभाई आज के समय में 1.50 बीघा जमीन पर टिंडोरा और बैंगन की खेती करते हैं, जिससे उन्हें सालाना 3.6 लाख या 30,000 रुपये प्रति माह की आय होती है. उनकी खेती की यात्रा टिकाऊ खेती की तकनीकों में गहरी दिलचस्पी के साथ शुरू हुई. इसके बाद उन्होंने प्राकृतिक खेती के तरीकों को पढ़ने का काम शुरू किया ताकि उन्हें जानकारी मिल सके और उसे वे अपना सकें. जानकारी लेने के बाद वे इसमें लग गए और प्राकृतिक खेती शुरू कर दी. इस खेती से न केवल अधिक पैदावार मिली है, बल्कि उनकी फसलें रोग मुक्त भी रहने लगीं.
किसान मितुलभाई अपनी सफलता का क्रेडिट साधन सहाय योजना और जिला कृषि विभाग से मिले सहयोग को देते हैं. इस योजना के तहत उन्हें बेल वाली सब्जियों के लिए पॉलीहाउस बनाने के लिए सहायता मिली, जिसने उनकी खेती में बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई. इससे उनकी संरक्षित खेती शुरू हुई और कमाई भी बढ़ने लगी. इस कमाई से प्रेरित होकर उन्होंने अधिक से अधिक खेती पर जोर लगाया. अब वे सब्जियों की खेती से हर महीने आसानी से 30,000 रुपये तक कमा लेती हैं.
ये भी पढ़ें: रंगीन मछली पालन से लाखों की कमाई कर उड़ीसा के राजेश रंजन ने बनाई अपनी अलग पहचान
दिलचस्प बात यह है कि मितुलभाई अपनी उपज बेचने के लिए बाज़ारों पर निर्भर नहीं हैं. आसपास के लोकल ग्राहक, जिनमें रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल हैं, उनकी प्राकृतिक रूप से उगाई गई सब्ज़ियां सीधे खरीदना पसंद करते हैं. उनकी सफलता ने क्षेत्र के अन्य किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया है. उन्होंने कहा, "इस खेती के तरीके ने मुझे आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है और साथ ही मेरे परिवार के लिए रोजगार और कमाई का स्थायी साधन दिया है."
मितुलभाई की यह कहानी बताती है कि प्राकृतिक खेती में किसान काम करें तो कम दिनों और कम खर्च में अच्छा कर सकते हैं. इससे परिवार का जीवन यापन चलने के साथ पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है. उनकी खेती की सफलता ने बाकी किसानों को भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है. पूरे गुजरात में इस तरह की खेती को बढ़ावा मिल रहा है.
इस तरह की कोशिश को केंद्र सरकार ने भी बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया है. एक दिन पहले ही सरकार ने प्राकृतिक खेती का राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जिसमें देश के 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा. इस काम में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी. केंद्र सरकार इस मिशन पर 2481 करोड़ रुपये खर्च करेगी. देश के हर क्षेत्र में इस तरह की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि केमिकल फ्री खेती बढ़ सके और इससे मिट्टी और पर्यावरण को बचाया जा सके.
ये भी पढ़ें: दो भाइयों ने मशरूम से की 76 लाख की कमाई, बिजनेस आइडिया ऐसा कि आप भी करेंगे वाह
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today