नंदी रथ का नाम तो आपने सुना ही होगा. उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व अधिकारी शैलेंद्र सिंह का ये अभिनव प्रयोग इन दिनों देशभर की चर्चा में बना हुआ है. किसान तक ने उनके इस प्रयोग को पूरे देश के सामने पहुंचाया था. बैलों और गायों के माध्यम से पैदा होने वाली बिजली के इस प्रयोग को देश भर से खूब सराहा गया. तो वहीं कुछ लोगों ने उनके इस प्रयोग को लेकर उनसे किसान तक के माध्यम से कई सवाल भी पूछे थे, जिसको लेकर किसान तक ने बीते दिनों उनसे बात की, जिसमें यूपी पुलिस के पूर्व अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने नंदी रथ से बनाई जा रही बिजली रथ का पूरा गणित समझाया है. उन्होंने बताया कि नंदी रथ के माध्यम से डेढ़ रुपये के खर्च पर एक यूनिट बिजली बनाई जा रही है. इसी खर्च में बैलों और गायों की खुराक भी शामिल है. आइए जानते हैं कि उन्होंने आगे क्या कहा.
नंदी रथ से तैयार होने वाली बिजली को लेकर यूपी पुलिस के पूर्व अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया उनके नंदी रथ पर बैलों के माध्यम से पैदा होने वाली बिजली की प्रति यूनिट कॉस्ट 1.5 रुपए है. इसमें बैलों और गायों के ऊपर सारे खर्चे शामिल है. वहीं उन्होंने बताया कि अगर गोबर और गोमूत्र का प्रयोग कर लिया जाए तो प्रति यूनिट बिजली की कॉस्ट ₹1 तक आ जाएगी.
वहीं गाय और बैलों के माध्यम से पैदा हो रही ऊर्जा के सौलर ऊर्जा से सस्ते होने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एक मेगा वाट सोलर पावर पैदा करने के लिए 5 करोड रुपए की लागत आती है. वहीं इसके लिए 5 एकड़ जमीन की भी आवश्यकता होती है. तो वहीं इससे 5000 यूनिट बिजली ही पैदा होती है. जबकि उनकी नंदी रथ पर 5 करोड़ खर्च करके 1 एकड़ जमीन में 10 से 12000 यूनिट बिजली पैदा होगी. सोलर के मुकाबले उनके नंदी रथ से कभी भी बिजली पैदा की जा सकती है, जबकि सोलर के लिए सूर्य की रोशनी का होना जरूरी है.
नंदी रथ लगाने में आने वाले खर्च की जानकारी देते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया अभी तक उनके द्वारा बनाए गए नंदी रथ पर डेढ़ लाख रुपए की लागत आ रही है. वही एक नंदी रथ के लिए 3 × 8 फीट की जमीन की जरूरत होती है. अगर सरकार इस पर सब्सिडी दे दे तो यह नंदी रथ किसानों को ₹50000 में भी मिल सकता है.
नंदी रथ के मॉडल की जानकारी देते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रेडमिल के माध्यम से जिम में भी बिजली बन सकती है. सिंह ने कहा कि उनका नंदी रथ ट्रेडमिल की ही मॉडल पर बना हुआ है. वहीं नंदी रथ के बड़े साइज को लेकर उन्होंने कहा कि नंदी रथ का आकार शुरुआती दौर में दो बैलों के लिए बनाया गया था, जो प्रोटोटाइप था. पहले इसका वजन 4 क्विंटल था, जिसे अब छोटा करके ढाई क्विंटल का कर लिया गया है.
नंदी रथ पर चलने से मवेशियों को नुकसान होने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बताया की नंदी रथ पर चलने से बैलों के पैर खराब नहीं होंगे क्योंकि इस पर गद्दे लगे हुए हैं. वही नंदी रथ की डिग्री को भी कम ज्यादा किया जा सकता है.
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