
बीटेक की पढ़ाई करके धर्मजीत सिन्हा खेती में रुचि दिखा रहे हैं. यह खेती को स्टार्टअप के रूप में देखते हुए आधुनिक तकनीक के साथ समेकित कृषि प्रणाली से खेती कर रहे हैं. धर्मजीत सवाल करते हैं कि हर कोई नौकरी करेगा तो खेती कौन करेगा. उनका कहना है कि अभी जिस तरह का माहौल देखने को मिल रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में सबकी थाली में भोजन आसानी से मिलने वाला नहीं है.
यह सोच उन्हें नौकरी नहीं, खेती की तरफ लेकर आई. पढ़ाई ने दिमाग खोला जो खेती में नए-नए प्रयोगों के लिए जरूरी है. धर्मजीत कहते हैं कि बढ़ती हुई आबादी और खेती का घटता क्षेत्रफल एक बड़ी समस्या है. नौकरी से पैसा तो कमाया जा सकता है. लेकिन खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी. वह खेती से ही संभव है. इसी को देखते हुए मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद खेती करने का फैसला किया. आज समेकित कृषि प्रणाली के तहत मछली पालन, बत्तख पालन, बागवानी करता हूं. इसके साथ ही मधुमक्खी पालन से अच्छी कमाई कर रहा हूं, जो नौकरी की तुलना में काफी बढ़िया हैं.
धर्मजीत सिन्हा बिहार राज्य के पटना जिले के दानापुर प्रखंड के लोदीपुर गांव के निवासी है. इन्होंने 2017 में बीटेक की पढ़ाई पूरी की उसके बाद नौकरी करने की जगह खेती से जुड़ गए. ये आज अपने पिता की देखरेख में चार कट्ठा जमीन में समेकित तरीके से मछली पालन और पोल्ट्री का व्यवसाय शुरू किया है.
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धर्मजीत सिन्हा किसान तक से बातचीत करते हुए बताते हैं कि आज के समय में खेती से अच्छी कमाई करनी है. तो किसानों को अधुनीक तकनीक की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है. तभी कम समय, कम स्थान में किसान अधिक कमाई कर सकते है. धर्मजीत शहद से साल का करीब ढाई लाख से अधिक की कमाई करते हैं. ये कहते हैं कि अभी उनके पास 68 के आसपास बॉक्स है. इससे बीते दिनों लीची के बागान से 6 क्विंटल तक शहद प्राप्त किया था. जिसे बाजार में 400 रुपए से अधिक मूल्य पर प्रति किलो बेचा था. वहीं वे अभी एक ही आम के पेड़ से तीन से चार तरह के अलग-अलग किस्म के फल का लाभ ले रहे हैं. इस तरह के करीब 10 से अधिक आम के पेड़ है. यह मानते है कि अभी यह प्रयोग शुरू हुआ है. आने वाले समय में खेती से मुझे अलग पहचान मिलेगा.
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धर्मजीत समेकित तरीके से मछली पालन, बत्तख पालन के साथ नींबू का कारोबार शुरू किया है. जो आने वाले दिनों में अच्छा पैसा देने के लिए तैयार हो रहा है. इन्होंने चार कट्ठा में मछली पालन की शुरुआत की है. इसके साथ ही इनके पास 100 से ज्यादा बत्तख है. ये अपने अनुभव के आधार पर बताते हैं कि बत्तख और मछली मछली पालन एक साथ करने में काफी फायदा है. इससे मछलियों के फीड में लगने वाली लागत आधी से भी कम हो जाती है.
सिन्हा कहते हैं कि आज के समय में किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवा कृषि को बेहतर नहीं मान रहे हैं. लेकिन मैं भी एक किसान का बेटा हूं. मैंने यह महसूस किया है कि खेती को नए तरीके से किया जाए तो इसमें कमाई है. वहीं अब पढ़े-लिखे युवाओं को खेती में सहभागिता दिखाने की जरूरत है. आधुनिक तकनीक और समय की मांग के अनुसार खेती की जाए, तो इसमें कमाई किसी नौकरी से अधिक है. खेती को मजबूरी के तौर पर नहीं, बल्कि एक स्टार्टअप के तौर पर देखने की जरूरत है.
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