अयोध्या जनपद के एक छोटे से गांव सडवा की रहने वाली शबीना खातून की कहानी कई महिलाओं और बेटियों के लिए प्रेरणा से भरी है. एक समय था, जब गांवों में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल नहीं थे. बच्चियों को पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर रास्ता तय कर जाना होता था. ऐसे में मां बाप बेटियों को 5वीं या 8वीं तक पढ़ाकर उनकी आगे की शिक्षा रोक देते थे, लेकिन धीरे-धीरे सोच में बदलाव आया और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण संस्थान भी खुलने लगे. मां-बाप भी चाहते थे कि उनकी बेटियां पढ़-लिखकर आगे बढ़ें, इसी सोच के साथ शबीना खातून ने गांव में ही रहकर ग्रेजुशन की पढ़ाई पूरी कर कदम आगे बढ़ाया.
बचपन से ही शबीना का सपना था कि वह पढ़-लिखकर समाज में रहकर समाज की सेवा करे, लेकिन यह चुनौती बड़ी ही कठिन थी. अपने हौसलों की बदौलत चुनौतियों को स्वीकार करते हुए वह आगे बढ़ती रहीं. पहले प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका के पद पर काम किया, फिर समाजसेवा में रुचि बढ़ी तो नौकरी छोड़कर आजीविका मिशन से जुड़ गईं. मानो किस्मत ने शबीना की जिंदगी में पंख लगा दिए हो, आज वह समूह चलाती हैं साथ ही ड्राेन पायलट का काम भी करती हैं.
शबीना अपने 6 साथियों के साथ ड्रोन के माध्यम से खेतों में दवाइयां और खाद का छिड़काव कर रही हैं. वह इस नई तकनीक का लाभ किसानों तक पहुंचा रही है. उन्होंने बताया कि इससे प्रतिदिन हम 4 से 5 हजार रूपए भी कमा रहे हैं और किसानों का समय बच रहा है और श्रम और खर्च भी कम आ रहा है. शबीना को प्रगतिशील कृषक का दर्जा भी प्राप्त है. अब वे केंद्र की लखपति ड्रोन दीदी योजना से जुड़कर लाभ ले रही हैं.
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शबीना बताती हैं कि इस साल उनकी टीम अब तक 92 एकड़ खेती में स्प्रे कर चुकी है. अभी 200 एकड़ की बुकिंग है. इसके अलावा शबीना और उनकी टीम के द्वारा पिछले साल 120 एकड़ में छिड़काव किया गया था. शबीना की टीम में शीला यादव, पूनम पांडे, नैन्सी चौहान, संजू यादव, गायत्री शामिल है. उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र, मसौधा, अयोध्या के वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण, प्रदर्शन एवं कृषि से सम्बंधित जानकारी मिलती रहती है.
जिले के डीएम द्वारा भी शबीना को सम्मानित किया जा चुका है. शबीना ने कोरोना काल में समूह के माध्यम से पचास हजार मूल्य के कपड़े के मास्क बनवाकर लोगों को उपलब्ध कराए थे. केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजना नमो ड्रोन में चयनित और प्रशिक्षित होने के बाद शबीना एक प्रमाणित ड्रोन पायलट है और ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाती है.
आज शबीना की मेहनत का परिणाम यह है कि उनके साथ गांवों की महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिल रहा है. गांव के आस- पास की महिलाएं और बेटियां भी संगठन से जुड़कर सिलाई, कढ़ाई, समूह का गठन कर प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वालंबन की राह में आगे बढ़ रही हैं.
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