भारत विविधताओं से भरा देश है. भारत के अलग-अलग शहर अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जाने जाते हैं. कई शहर अपने अनोखे नाम के लिए तो कई अपने खास व्यंजनों और उत्पाद के तौर पर जाने जाते हैं. खास बात यह है कि कुछ शहरों की पहचान सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर बनी हुई है. ये पहचान विदेशी पर्यटकों को यहां खींच लाती है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे मसालों की.
दरअसल भारत के मसालों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक है. हर साल भारत से बड़ी मात्रा में मसालों का निर्यात किया जाता है, जो कि यूरोप समेत अन्य देशों तक पहुंचता है. पर क्या आप चोई झाल मसाले के बारे में जानते हैं? अंडमान के लोग इस मसाले का इस्तेमाल करते हैं, जिसका टेस्ट काली मिर्च की तरह होता है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
वुडी मिर्च को स्थानीय रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में चोई झाल के नाम से जाना जाता है. यह मसाले की एक अनोखी किस्म है जो अपने खाने योग्य तने के खंडों के कारण अन्य काली मिर्च यानी पाइपर प्रजातियों से अलग होती है. चोई झाल या पाइपर एक फूल वाली लता है जो दक्षिण पूर्व एशिया, अंडमान और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मिलता है. दरअसल पुर्तगालियों द्वारा लाई गई मिर्च के आने से पहले, यह चोई झाल ही खाने में इस्तेमाल किया जाता था.
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अंडमान और निकोबार द्वीप में रहने वाले लोग अपने शाकाहारी और मांसाहारी करी को स्वादिष्ट बनाने के लिए चोई झाल तने के टुकड़ों का उपयोग करते हैं. इस मसाले की सुगंध नींबू जैसी होती है. वहीं इसके स्वाद की बात करें तो तीखी होती है. वहीं चोई झाल का ज्यादातर इस्तेमाल वहां के लोग मछली या मांस की करी बनाने में करते हैं. चोई झाल की पत्तियों के साथ भूरी-काली छाल भोजन को एक विशिष्ट स्वाद देती है. आम तौर पर खाना पकाने में, चोई झाल की छाल को छील दिया जाता है. इसके बाद इसका इस्तेमाल किया जाता है.
आईसीएआर-केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर इस कम उपयोग किए जाने वाले चोई झाल मसाले को संरक्षण देने के लिए बढ़ावा दे रहा है. इसे संरक्षित करने और इस कम उपयोग किए गए आनुवंशिक संसाधन के महत्व को समझने के लिए पोर्ट ब्लेयर में रिसर्च का काम शुरू किया गया है. संस्थान के अध्ययनों से पता चला है कि यह मसाला फिनोलिक्स और पिपेरिन सहित एंटीऑक्सिडेंट का एक स्रोत है. द्वीपीय कृषि में इसकी क्षमता को देखते हुए इसे इन द्वीपों की एक नए मसाला फसल के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.
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