UP: अमरोहा की महिला किसान हितेश ने तैयार किया गन्ने की नई प्रजातियों के पौधे, जानें फायदे

UP: अमरोहा की महिला किसान हितेश ने तैयार किया गन्ने की नई प्रजातियों के पौधे, जानें फायदे

Amroha News: हितेश चौधरी ने ग्रेजुएशन के बाद डबल एमए व योग में पीजी डिप्लोमा किया है. उन्होंने आगे बताया कि साल 2020 में ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गन्ने की खेती को प्राकृतिक तकनीक से करने की जानकारी किसानों को दे रही है.

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UP: अमरोहा की महिला किसान हितेश ने तैयार किया गन्ने की नई प्रजातियों के पौधे, जानें फायदेअमरोहा जिले की रहने वाली महिला किसान हितेश चौधरी (Photo-Kisan Tak)

खेती-किसानी में अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और अपनी अलग पहचान बना रही हैं. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली महिला किसान हितेश चौधरी प्राकृतिक खेती में नई तकनीक का प्रयोग करके सफलता की कहानी लिख रही हैं. गांव चक छावी की रहने वाली ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष हितेश चौधरी ने  गन्ने की नई प्रजातियों की पौध सिंगल बड, चिप बड द्वारा पौध तैयार किया है. हितेश की पहचान जिले में एक सफल महिला किसान के रूप में होती हैं.

इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में उन्होंने बताया कि जैविक तरीके खेती करने से गन्ने के पौध में किसी भी प्रकार का रोग नहीं आता है. वहीं बीज की बचत होती है और पैदावार में बढ़ोतरी  होती है. हितेश बताती हैं कि मिट्टी की उभरा शक्ति बढ़ती है, क्योंकि यह पौध जैविक तरीके से तैयार की जाती है जिसमें बीज का शोधन ट्राइकोडर्मा से किया जाता है.

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर 

उन्होंने बताया कि गन्ने के इस पौधों में लगाने के लिए वर्मी कंपोस्ट कोकोपीट पाउडर का इस्तेमाल करते हैं. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. इस एक पौधे को 1.30 पैसे हमें सरकार से मिलते हैं और 1.30 पैसे गन्ना विभाग  के द्वारा दिया जाता हैं.

ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं
ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

जबकि यह एक पौध तीन रुपए तक बिक जाता है. सफल किसान हितेश ने बताया कि इससे महिलाओं को एक रोजगार प्राप्त हो रहा है. इस समूह में 12 महिलाएं जुड़ी हुई है.

गन्ने की इन वैरायटी का पौधा

इस बार हम लोगों का लक्ष्य एक लाख से अधिक पौध बनाने का है. जो हम तैयार कर रहे हैं, वहीं गन्ने की वैरायटी 16202, 15023, सुपर 0118 का पौध खरीदना चाहते है तो वह हमसे संपर्क कर सकते हैं. बता दें कि हितेश चौधरी ने ग्रेजुएशन के बाद डबल एमए व योग में पीजी डिप्लोमा किया है. उन्होंने आगे बताया कि साल 2020 में ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गन्ने की खेती को प्राकृतिक तकनीक से करने की जानकारी किसानों को दे रही है.

‘देसी’ गाय के मूत्र और गोबर का उपयोग 

महिला किसान हितेश चौधरी बताती है कि प्राकृतिक खेती ने हमारे जीवन और आजीविका में सकारात्मक बदलाव लाया है. आगे वो बताती है हमारा खर्च कम हो गया है क्योंकि हमें बाजार से कुछ भी नहीं खरीदना पड़ता है. हम ‘देसी’ गाय के मूत्र और गोबर का उपयोग करके खेत में ही सभी इनपुट बनाते हैं. वहीं गाय के गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद भी हम लोग तैयार कर रहे है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्रशिक्षण और एक्सपोजर विजिट हमें बहुत ज्ञान और आत्मविश्वास भी दिया है.

50 लाख से अधिक किसान गन्ने की खेती से जुड़े

उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा गन्ने और चीनी का उत्पादन होता है. यूपी में लगभग 50 लाख किसान परिवार सीधे तौर पर गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं और चीनी, इथेनॉल, गुड़ आदि सहित गन्ना उप-उत्पाद राज्य में सालाना 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की अर्थव्यवस्था का निर्माण करते हैं. उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या ही नहीं बल्कि उनकी आय भी लगातार बढ़ रही है. मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, हापुड़, कुशीनगर जैसे जनपद में बड़े पैमाने पर गन्ने का उत्पादन होता है. 

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