76 साल के बुजुर्ग का कमाल, 20 लाख में बनाया पॉलीहाउस, अब सब्जी उगाकर कर रहे बंपर कमाई

76 साल के बुजुर्ग का कमाल, 20 लाख में बनाया पॉलीहाउस, अब सब्जी उगाकर कर रहे बंपर कमाई

अभी हंस राज शर्मा के पॉलीहाउस में खीरे के करीब 1,410 पौधे लगे हुए हैं. उनका कहना है कि पारंपरिक विधि के मुकाबले पॉलीहाउस में खेती करने पर प्रति पौधा 2 से 3 किलो ज्यादा खीरे का उत्पादन हुआ. इसका मतलब है कि पारंपरिक खुले खेत की खेती की तुलना में उनकी फसलों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

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76 साल के बुजुर्ग का कमाल, 20 लाख में बनाया पॉलीहाउस, अब सब्जी उगाकर कर रहे बंपर कमाईपॉलीहाउस में खीरे की खेती. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश के उधमपुर के किसान अब आधुनिवक तरीके से बागवानी कर रहे हैं. वे सरकार के समग्र कृषि विकास कार्यक्रम (HADP) के तहत पॉलीहाउस में हरी सब्जियां उगा रहे हैं. उससे उन्हें बंपर उत्पादन मिल रहा है और साथ में अच्छी कमाई भी हो रही है. खास बात यह है कि पॉलीहाउस के अंदर युवा से लेकर बुजुर्ग भी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. आज हम एक ऐसे ही बुजुर्ग के बारे में बात करेंगे, जो पॉलीहाउस में सब्जी उगाकर लोगों के सामने मिसाल पेश कर रहे हैं. अब इनकी सफलता की कहानी पूरे जिले में हो रही है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उधमपुर जिले के बल्लियां गांव के रहने वाले इस 76 वर्षीय किसान का नाम हंस राज शर्मा है. इन्होंने 500 वर्ग मीटर में एक विशाल पॉलीहाउस बना रखा है. इसके अंदर ये खीरा, बैंगन और लौकी सहित कई तरह की सब्जियां उगा रहे हैं. उनका कहना है कि पॉलीहाउस के अंदर जलवायु परिवर्तन का कोई असर नहीं पड़ता है. आप पूरे साल किसी भी फसल की खेती कर सकते हैं. अभी वे अपने बागान से खीरे का उत्पादन कर रहे हैं, जिसे मार्केट में अच्छा रेट मिल रहा है.

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95 फीसदी सब्सिडी का मिला लाभ

हंस राज शर्मा का कहना है कि समग्र कृषि विकास कार्यक्रम के तहत सरकार किसानों को पॉलीहाउस बनाने के लिए सब्सिडी देती है. इस योजना के तहत उन्हें 95 फीसदी सब्सिडी मिली है. इसके बाद उन्होंने 20 लाख रुपये की लागत से 500 वर्गमीटर में पॉलीहाउस बनवाया और सब्जियों की खेती शुरू कर दी. उनकी माने तो पॉलीहाउस के अंदर खेती करना छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है. इससे उनकी आय में इजाफा होगा.

पॉलीहाउस में खीरे की खेती

अभी हंस राज शर्मा के पॉलीहाउस में खीरे के करीब 1,410 पौधे लगे हुए हैं. उनका कहना है कि पारंपरिक विधि के मुकाबले पॉलीहाउस में खेती करने पर प्रति पौधा 2 से 3 किलो ज्यादा खीरे का उत्पादन हुआ. इसका मतलब है कि पारंपरिक खुले खेत की खेती की तुलना में उनकी फसलों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हंस राज ने कहा कि खुले में खेती करने की तुलना में मेरा उत्पादन काफी बढ़ गया है. ऐसे में वे युवाओं को कृषि को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. वे युवाओं को नई आधुनिक तकनीकों और सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताते हैं. उन्होंने खुली खेती और पॉलीहाउस खेती के बीच के अंतर को भी विस्तार से बताया है.

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युवाओं के लिए बने आदर्श

उन्होंने कहा कि जहां पारंपरिक तरीकों से पैदावार और मुनाफा सीमित होता है, वहीं पॉलीहाउस किसानों को कम जमीन पर अधिक फसल उगाने की अनुमति देता है, जिससे काफी अधिक मुनाफा होता है. खास बात यह है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाल ही में कहा था कि समग्र कृषि विकास कार्यक्रम (एचएडीपी) जम्मू-कश्मीर के कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर है जो किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकता है.

 

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