पंजाब में किसान मजदूर मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को एक बैठक की. इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई. इसमें सबसे प्रमुख था लैंड पूलिंग पॉलिसी का मुद्दा जिसे अभी हाल में पंजाब सरकार ने रद्द किया है. बैठक के दौरान किसानों ने एकसुर में आवाज उठाई कि सरकार ने पॉलिसी को रद्द तो कर दिया, लेकिन इसे विधानसभा में सत्र बुलाकर रद्द करने का ऐलान करना चाहिए. किसानों ने नए इलेक्ट्रिक मीटर के खिलाफ भी अपनी बात रखी.
बैठक में किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि आज (बुधवार) हमारी बैठक हुई जिसका मुख्य मुद्दा लैंड पूलिंग था. इस पर हम सरकार से सार्वजनिक अधिसूचना रद्द करने और इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की मांग करते हैं. हमने 20 अगस्त को जालंधर (कुकड़ गांव) में अपनी रैली का कार्यक्रम तय किया है. साथ ही, नए बिजली मीटरों पर केंद्र सरकार का फैसला वापस लिया जाना चाहिए.
पंढेर ने कहा, हम तब तक विरोध जारी रखेंगे जब तक कि इस नीति (land pooling policy) को अधिसूचना के जरिये वापस नहीं ले लिया जाता. सरकार जमीन अधिग्रहण करके कर्ज लेने की योजना बना रही है. अमेरिका के साथ होने वाले व्यापार समझौते पर पंढेर ने कहा कि भारत को अमेरिका और भारत के समझौते से बाहर आना चाहिए. हमने 26 अगस्त को सुबह 11 बजे किसान भवन में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में शामिल होने का आग्रह किया है.
किसान नेता पंढेर ने कहा कि हमने गन्ने का 500 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य मांगा है, यह उत्पादन पर लागत है. आम आदमी पार्टी नेताओं, उनके मंत्रियों और मुख्यमंत्री को पंजाब के गांवों में लोगों को जाने से बचना चाहिए.
दो दिन पहले ही पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस ले लिया जिसके खिलाफ किसानों का संगठन सड़कों पर उतरा था. किसान इस नीति का भारी विरोध कर रहे थे और उनका कहना था कि इससे किसानों की जमीन जबरन ली जाएगी और खेती की जमीन किसानों के हाथ से निकल जाएगी. इस नीति के विरोध में किसानों ने पंजाब में मोटरसाइकिल मार्च भी निकाला था. बाद में सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए इस नीति को वापस लेने का फैसला किया. उससे पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस नीति को लागू करने पर स्टे लगा दिया था.
हाईकोर्ट से स्टे लगने और पंजाब सरकार की ओर से पॉलिसी रद्द किए जाने के बाद भी किसान संगठन विरोध प्रदर्शन पर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि सरकार जब तक विधानसभा का सत्र बुलाकर इस नीति को रद्द करने का फैसला नहीं करती और अधिसूचना रद्द करने का ऐलान नहीं होता, तब तक वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.(अमन भारद्वाज का इनपुट)
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