ICAR-IISWC देहरादून की बड़ी पहल, 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' में 521 किसानों की सुनी समस्याएं

ICAR-IISWC देहरादून की बड़ी पहल, 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' में 521 किसानों की सुनी समस्याएं

ICAR-IISWC: विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से किसानों की समस्याएं सुलझाई जा रही हैं. इसका मकसद है मुख्य कृषि चुनौतियों का समाधान करके और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर, संस्थान का उद्देश्य खरीफ फसल की योजना को बढ़ाना, मॉनसून की तैयारी सुनिश्चित करना और ज्ञान आधारित खेती को बढ़ावा देना है, जिससे उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कृषक समुदायों की आजीविका सुरक्षित हो सके.

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ICAR-IISWC देहरादून की बड़ी पहल, 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' में 521 किसानों की सुनी समस्याएंविकसित कृषि संकल्प अभियान

ICAR–भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक व्यापक पहल शुरू की है. विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA) 2025 के तहत, संस्थान ने 2 जून 2025 को देहरादून जिले के सहसपुर और कालसी ब्लॉकों के 521 किसानों के साथ संवाद किया, ताकि वे किसानों की समस्याओं को समझ सकें और उनका समाधान दे सकें.

प्रमुख पहचानी गई समस्याए:

किसानों ने अपनी कृषि उत्पादकता में बाधा डालने वाली कई समस्याओं की रिपोर्ट की:

  • कंकरीली मृदा और वर्षा आधारित कृषि: सीमित सिंचाई सुविधाएं और जल संचयन के विकल्प.
  • वन्यजीवों का आतंक: स्थानीय वन्यजीवों द्वारा फसलों को नुकसान.
  • गुणवत्तापूर्ण इनपुट्स की कमी: सुधारित बीजों और नस्लों की कमी.
  • तकनीकी ज्ञान की कमी: कीट और रोग प्रबंधन की सीमित समझ.
  • संरचनात्मक कमियां: खराब संचार नेटवर्क और अपर्याप्त बाजार लिंक.
  • जागरुकता की कमी: वर्तमान सरकारी योजनाओं के बारे में सीमित जानकारी.

इन समस्याओं के कारण किसानों और युवाओं में बेहतर आजीविका के लिए पलायन की प्रवृत्ति बढ़ी है, जो क्षेत्र में कृषि की स्थिरता को खतरे में डाल रही है.

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ICAR-IISWC की रणनीतिक पहलें:

इन समस्याओं के समाधान के लिए, ICAR-IISWC ने वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों की अलग-अलग विषयों की टीमों को सक्रिय किया है:

  • सिंचाई और परिदृश्य प्रबंधन: डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. श्रीधर पात्र, इंजीनियर एसएस श्रीमाली, डॉ. उदय मंडल, और डॉ. दीपक सिंह.
  • फसल स्वास्थ्य और कृषि विज्ञान: डॉ. लेखचंद और डॉ. रामनजीत सिंह.
  • मृदा स्वास्थ्य और उर्वरक प्रबंधन: डॉ. डीवी सिंह और डॉ. एम. शंकर.
  • एग्रोफॉरेस्ट्री, चारा उत्पादन और जैव विविधता: डॉ. चरण सिंह, डॉ. जेएमएस तोमर, डॉ. राजेश कौशल, डॉ. विभा सिंघल, डॉ. जे. जयप्रकाश, डॉ. मतबर सिंह, और डॉ. अनुपम बर्ह.
  • पशुपालन, मत्स्य पालन, और जल गुणवत्ता: डॉ. एम. मुरुगानंदम और डॉ. रमा पाल.
  • महिला सशक्तिकरण, आजीविका और पोषण सुरक्षा: डॉ. बैंकय बिहारी, डॉ. इंदु रावत, डॉ. अभिमन्यु झाझरिया, और डॉ. सदिकुल इस्लाम.

इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक और तकनीकी समर्थन सुरेश कुमार (CTO), एमएस चौहान (CTO), राकेश कुमार (CTO), एमएस बिष्ट (ACTO), इंजीनियर प्रकाश सिंह, इंजीनियर यूसी तिवारी, डॉ. प्रमोद लवाटे, प्रवीण कुमार तोमर, रविशंकर, और सोनू (TAs) की ओर से दिया गया है, जो किसानों-केंद्रित जानकारी का सक्रिय रूप से प्रसार कर रहे हैं.

नेतृत्व और समन्वय: VKSA 2025 अभियान का समन्वय डॉ. एम. मधु, निदेशक, ICAR-IISWC के नेतृत्व में किया जा रहा है, जिसमें डॉ. बैंकय बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम, अनिल चौहान (CTO), इंजीनियर अमित चौहान (ACTO), और प्रवीण तोमर (STO) सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं. इनकी सामूहिक प्रयासों से यह 15-दिनीय अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है, जो 29 मई से 12 जून 2025 तक निर्धारित है.

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ICAR-IISWC की VKSA 2025 के माध्यम से की गई सक्रिय पहल इसके क्षेत्र में किसानों और कृषि को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. मुख्य कृषि चुनौतियों का समाधान करके और सतत प्रथाओं को बढ़ावा देकर, संस्थान खरीफ फसल योजना को बेहतर बनाने, मॉनसून की तैयारी सुनिश्चित करने, और ज्ञान-आधारित कृषि को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है, जिससे उत्तराखंड की पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों की आजीविका सुरक्षित हो सके.

 

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