देश स्तर पर बीते 29 मई से विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत हो चुकी है. इस अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिक किसानों के खेतों तक पहुंच रहे हैं. उन्हें राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं से जुड़ी जानकारी दे रहें हैं. साथ ही आधुनिक दौर में खेती कैसे की जाए, इससे जुड़ी जानकारी भी साझा कर रहे हैं. इसके अलावा खेती में आ रही किसानों की समस्याओं को सुन रहे हैं. वहीं, इस अभियान के पांचवें दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार के पूर्वी चंपारण के पिपरकोठी का दौरा किया. तो दूसरी ओर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने बीते चार दिनों में 68,000 से अधिक किसानों से संवाद कर नया एक कीर्तिमान बनाया. वहीं, कैमूर केवीके के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों को जलवायु अनुकूल खेती करने का सुझाव दिया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि लीची का उत्पादन देश के कई राज्यों में होता है, लेकिन बिहार की लीची का स्वाद अनुपम है. हालांकि, किसानों ने बताया कि लीची तोड़ने के 48 घंटों के भीतर बेचनी पड़ती है, जिसके कारण कई बार उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पाता. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों को शोध करने और ऐसी तकनीकों को विकसित करने का निर्देश दिया गया है, जिनसे लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सके. साथ ही, कोल्ड स्टोरेज की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया गया ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके.
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12 जून तक चलने वाले इस अभियान के तहत बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने एक नया कीर्तिमान बनाया है. विश्वविद्यालय ने 1 जून तक चार दिनों में 21 जिलों के 627 स्थानों और 692 गांवों में 68,009 किसानों से सीधा संवाद किया. इनमें 48,727 पुरुष और 19,230 महिला किसान शामिल हुए. इस दौरान 381 केवीके वैज्ञानिकों, 170 आईसीएआर और बीएयू सबौर के वैज्ञानिकों, 729 प्रगतिशील किसानों, 1,908 जिला और प्रखंड स्तर के कृषि अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया.
अभियान के तहत सोमवार को कैमूर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने 9 गांवों का दौरा किया. कृषि वैज्ञानिक अमित सिंह ने किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, नई किस्मों, सरकारी योजनाओं, प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल चयन, संतुलित उर्वरक उपयोग, और कृषि ड्रोन जैसे विषयों पर जानकारी दी. साथ ही, उन्होंने धान की सीधी बुवाई, फसल विविधीकरण और सभी फसलों में मशीनीकरण की उन्नत तकनीकों के बारे में भी बताया.
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